Edited By Ramanjot, Updated: 02 Dec, 2024 12:18 PM
Mithila Painting: कार्यक्रम को सफल बनाने में कई प्रतिष्ठित संस्थानों और कलाकारों का योगदान रहा, जिनमें उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान, कला एवं शिल्प महाविद्यालय, पटना, सृजन मिथिला दरभंगा, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मिथिला आर्ट, दरभंगा, मिथिला मंत्र और...
बिहार डेस्क: बिहार के कला संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार ने मिथिला चित्रकला संस्थान, में एक ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें विश्व की सबसे लंबी मिथिला पेंटिंग एक दिन में सर्वाधिक कलाकारों ने तैयार किया। कार्यक्रम में राज्यभर से लगभग 910 कलाकारों ने 182 विषयों पर चित्रकारी की। इस आयोजन में कुल 157 स्वयंसेवकों ने अपनी सेवाएं दीं और पेंटिंग की लंबाई लगभग 1900 फिट रही। यह पेंटिंग विभिन्न प्रमुख संस्थानों और लोकप्रिय कलाकारों के सहयोग से तैयार की गई।
कार्यक्रम को सफल बनाने में कई प्रतिष्ठित संस्थानों और कलाकारों का योगदान रहा, जिनमें उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान, कला एवं शिल्प महाविद्यालय, पटना, सृजन मिथिला दरभंगा, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मिथिला आर्ट, दरभंगा, मिथिला मंत्र और जीविका के उत्पाद समूह के कलाकारों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस कार्यक्रम में पद्मश्री दुलारी देवी, पद्मश्री शिवन पासवान, डॉ. रानी झा, संजय जायसवाल, प्रतीक प्रभाकर, अशोक पासवान, उर्मीला देवी, गणेश पासवान, पवन कुमार झा, आशा देवी, नवल किशोर लाल दास और पद्मश्री परिवार के सदस्य उपस्थित थे। राज्यभर के विभिन्न जिलों जैसे पटना, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सहरसा, भागलपुर आदि के मिथिला चित्रकारों ने अपनी कला का अछ्वुत प्रदर्शन किया।
मिथिला चित्रकला को दी गई एक नई दिशा
इस अवसर पर मिथिला चित्रकला संस्थान द्वारा कलाकारों को लगभग 200 विषय निर्धारित किए गए थे, जिनमें प्रमुख रूप से माता सीता का जन्म, भगवान राम का जन्म, विवाह के विभिन्न द्दश्य जैसे स्वयंवर, कोहबर, वरमाला, शिव विवाह, अरिपन, लोकगाथाएं और मिथिला के विभिन्न सांस्कृतिक द्दश्यों पर चित्रांकन किया गया। कार्यक्रम के सफल संचालन में संस्थान में अध्ययनरत सभी छात्र-छात्राओं ने अपनी मेहनत और समर्पण का परिचय दिया, और कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया। इस ऐतिहासिक प्रयास ने मिथिला चित्रकला को एक नई दिशा दी और राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत किया।