बिहार में बने रेल इंजनों की अफ्रीका में सप्लाई, पीएम मोदी ने पहली खेप को दिखाई हरी झंडी

Edited By Ramanjot, Updated: 20 Jun, 2025 02:45 PM

supply of railway engines made in bihar to africa

दस साल पहले बनी रेलवे लोकोमोटिव फैक्ट्री मढ़ौड़ा से गिनी को 150 मेक इन इंडिया इंजनों का निर्यात किया जाएगा। पहले चरण में दो इंजन आज गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह रवाना हो गए जहां से इन्हें समुद्री मार्ग से गिनी भेजा जाएगा। भारत से अफ्रीका के गिनी देश में...

छपरा: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने सरकारी निजी भागीदारी से बिहार के सारण जिले के मढ़ौड़ा निर्मित एवं पश्चिम अफ्रीका के तटीय देश गिनी को निर्यात होने वाले पहले मेक इन इंडिया अत्याधुनिक रेल डीजल इंजन को शुक्रवार को हरी झंडी दिखाई। सीवान में आयोजित एक कार्यक्रम में वीडियो लिंक के माध्यम से इस डीजल रेल इंजन को हरी झंडी दिखाई। इस मौके पर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) सतीश कुमार भी उपस्थित थे। गिनी के राष्ट्रपति ममाडी डोमबोया के गांव कोमा के नाम पर इंजन का नामकरण किया गया है। 

भारत से 150 इंजनों का निर्यात गिनी को किया जाएगा 

दस साल पहले बनी रेलवे लोकोमोटिव फैक्ट्री मढ़ौड़ा से गिनी को 150 मेक इन इंडिया इंजनों का निर्यात किया जाएगा। पहले चरण में दो इंजन आज गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह रवाना हो गए जहां से इन्हें समुद्री मार्ग से गिनी भेजा जाएगा। भारत से अफ्रीका के गिनी देश में सिमफेर की सिमांडौ लौह अयस्क परियोजना के लिए 150 इवोल्यूशन सीरीज ईएस 43 एसी एमआई इंजनों की आपूर्ति की जानी है जिसकी कीमत 3000 करोड़ रुपए से अधिक है। इस वित्तीय वर्ष में 37 इंजनों का निर्यात किया जाएगा जबकि अगले वित्त वर्ष में 82 इंजनों का निर्यात किया जाएगा और तीसरे वर्ष में 31 इंजनों का निर्यात किया जाएगा। कुल मिलाकर भारत से 150 इंजनों का निर्यात गिनी को किया जाएगा। 

इन लोकोमोटिव की विशेषता यह हैं कि ये 4500 हॉर्स पावर वाले इंजन, एसी प्रणोदन, पुनर्योजी ब्रेकिंग, माइक्रोप्रोसेसर-आधारित नियंत्रण और मॉड्यूलर डिजाइन से लैस हैं। ये लोकोमोटिव श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ उत्सर्जन मानकों, अग्नि पहचान प्रणालियों और रेफ्रिजरेटर, माइक्रोवेव और जल रहित शौचालय प्रणाली जैसी आधुनिक सुविधाओं के साथ एर्गोनोमिक क्रू केबिनों के साथ बनाए गए हैं। सिंक्रनाइज संचालन और बेहतर माल ढुलाई के लिए डीपीडब्ल्यूसीएस (वितरित पावर वायरलेस कंट्रोल सिस्टम) फिट किया गया है। लोकोमोटिव का वजन 137 टन है और ये विश्व के सबसे अधिक ईंधन दक्ष रेल इंजन हैं और इन्हें मशीन में थोड़े से समायोजन से बॉयो ईंधन, मेथेनॉल और तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) से भी चलाया जा सकता है। 

भारत-अफ्रीका आर्थिक सहयोग होगा प्रगाढ़ 

इन सभी लोकोमोटिव्स में वातानुकूलित कैब होगा। प्रत्येक लोको में सिंगल कैब होगी और दो इंजन मिलकर अधिकतम स्वीकार्य गति के साथ 100 वैगनों का भार वहन करेंगे। इन इंजनों के निर्माण के लिए, मढ़ौड़ा लोकोमोटिव परिसर में तीन प्रकार के ट्रैक बनाए गए हैं-ब्रॉड गेज, मानक गेज और केप गेज। भारतीय रेलवे का बिहार का मढ़ौड़ा संयंत्र लोकोमोटिव निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित हो रहा है। यहां निर्मित किए जा रहे लोकोमोटिव, भारत के औद्योगिक पदचिह्न को बढ़ावा देते हैं। इस फैक्टरी में 285 लोग सीधे काम पर हैं और 1215 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है इनमें से 80 प्रतिशत लोग बिहार झारखंड के हैं और 25 फीसदी महिला कर्मी हैं। इनके अलावा, 2100 से अधिक लोग सेवाओं और अन्य कार्यों के लिए देश भर में संयुक्त उद्यम के लिए काम कर रहे हैं। यह भारत का गिनी की सबसे बड़ी लौह अयस्क परियोजना के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण में योगदान देगा, जिससे भारत-अफ्रीका आर्थिक सहयोग प्रगाढ़ होगा। 

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