Kesariya Assembly Seat: केसरिया सीट पर क्या जेडीयू लीडर शालिनी मिश्रा हासिल कर पाएंगी जीत?।। Bihar Election 2025

Edited By Swati Sharma, Updated: 24 Jun, 2025 06:15 PM

will jdu leader shalini mishra be able to win the kesaria seat

Kesariya Assembly Seat: बिहार की दो सौ 43 सीट में से केसरिया सीट का अहम स्थान है....परिसीमन के बाद केसरिया में उत्तरी बरैया, भटवलिया, भवानीपुर, डुमरिया ग्राम, दिलवारपुर, राजपुर, रघुनाथपुर,सिरसिया जैसे इलाके आते हैं। केसरिया विधानसभा सीट पूर्वी...

Kesariya Assembly Seat: बिहार की दो सौ 43 सीट में से केसरिया सीट का अहम स्थान है....परिसीमन के बाद केसरिया में उत्तरी बरैया, भटवलिया, भवानीपुर, डुमरिया ग्राम, दिलवारपुर, राजपुर, रघुनाथपुर,सिरसिया जैसे इलाके आते हैं। केसरिया विधानसभा सीट पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट के तहत आता है। बता दें कि यह सीट 1951 से अस्तित्व में है। 1951,1952 और 1957 में इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार प्रभावती गुप्ता ने जीत हासिल की थी। 1962 के विधानसभा चुनाव में केसरिया सीट से सीपीआई कैंडिडेट पीताम्बर सिंह ने प्रभावती गुप्ता को हरा दिया था। 1967 में भी केसरिया सीट से सीपीआई कैंडिडेट पी सिन्हा ने जीत हासिल की थी। वहीं 1969 में कांग्रेस पार्टी के कैंडिडेट मोहम्मद एजाज हुसैन खान ने केसरिया सीट से जीत हासिल की थी। 

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1972 और 1977 के चुनाव में सीपीआई कैंडिडेट पितांबर सिंह ने केसरिया सीट पर जीत का परचम लहराया था। 1980 के विधानसभा चुनाव में जेएनपी के कैंडिडेट राय हरिशंकर शर्मा ने जीत हासिल की थी। वहीं 1985 के चुनाव में राय हरिशंकर शर्मा ने कांग्रेस का दामन थाम लिया और जीत भी हासिल कर ली थी। 1990 और 1995 के चुनाव में सीपीआई कैंडिडेट यमुना यादव ने लगातार विरोधियों को मात दे दी थी। 2000 के विधानसभा चुनाव में एसएपी कैंडिडेट औबेदुल्लाह ने जीत हासिल कर लिया था। वहीं 2005 के फरवरी महीने में केसरिया सीट पर हुए चुनाव में भी जेडीयू की टिकट पर औबेदुल्लाह ने विरोधियों को मात दे दिया था.....तो 2005 के अक्टूबर महीने में आरजेडी कैंडिडेट राजेश कुमार रौशन ने विरोधियों को चारों खाने चित कर दी थी। वहीं 2010 के विधानसभा चुनाव में यहां से यहां से बीजेपी कैंडिडेट सचिंद्र प्रसाद सिंह ने जीत हासिल की थी तो 2015 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी कैंडिडेट राजेश कुमार ने बीजेपी कैंडिडेट को हरा कर जीत हासिल की थी। वहीं 2020 के चुनाव में जेडीयू उम्मीदवार शालिनी मिश्रा ने फिर से जीत हासिल की थी।

Kesariya Assembly Seat Result 2020।। एक नजर 2020 विधानसभा चुनाव के नतीजों पर

2020 के चुनाव में जेडीयू उम्मीदवार शालिनी मिश्रा ने जीत हासिल की थी। शालिनी मिश्रा को 40 हजार दो सौ 19 वोट मिला था। वहीं आरजेडी कैंडिडेट संतोष कुशवाहा 30 हजार नौ सौ 92 वोट लाकर दूसरे स्थान पर रहे थे तो एलजेपी उम्मीदवार रामशरण प्रसाद यादव 18 हजार नौ सौ चार वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे थे।

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Kesariya Assembly Seat Result 2015।। एक नजर 2015 विधानसभा चुनाव के नतीजों पर

वहीं 2015 के विधानसभा चुनाव में केसरिया सीट पर आरजेडी कैंडिडेट राजेश कुमार ने जीत हासिल की थी। राजेश कुमार को 62 हजार नौ सौ दो वोट मिले थे। वहीं बीजेपी कैंडिडेट राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, 46 हजार नौ सौ 55 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे। इस तरह आरजेडी कैंडिडेट राजेश कुमार ने बीजेपी उम्मीदवार राजेंद्र प्रसाद गुप्ता को 15 हजार नौ सौ 47 वोट के अंतर से हराया था। वहीं, सीपीआई कैंडिडेट रामशरण प्रसाद य़ादव को 11 हजार सात सौ 67 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे।

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Kesariya Assembly Seat Result 2010।। एक नजर 2010 विधानसभा चुनाव के नतीजों पर

वहीं साल 2010 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी कैंडिडेट सचिंद्र प्रसाद सिंह ने सीपीआई रामशरण प्रसाद यादव को मात दे दी थी। सचिंद्र प्रसाद सिंह ने 34 हजार छह सौ 49 वोट हासिल किया था। जबकि सीपीआई कैंडिडेट रामशरण प्रसाद यादव को 22 हजार नौ सौ 66 वोट मिला था। इस तरह से सचिंद्र प्रसाद सिंह ने रामशरण प्रसाद यादव को 11हजार छह सौ 83 वोट से हरा दिया था। वहीं लोजपा कैंडिडेट महेश्वर सिंह 12 हजार 10 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे।

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Kesariya Assembly Seat Result 2005।। एक नजर 2005 विधानसभा चुनाव के नतीजों पर

वहीं 2005 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर आरजेडी कैंडिडेट राजेश कुमार रौशन ने जेडीयू उम्मीदवार रजिया खातून को हराया था। राजेश कुमार रौशन ने 31 हजार 90 वोट हासिल किया था, जबकि जेडीयू कैंडिडेट रजिया खातून को 30 हजार एक सौ 12 वोट मिला था। इस तरह से राजेश कुमार रौशन ने रजिया खातून को महज 9 सौ 78 वोट के मार्जिन से हरा दिया था। वहीं लोजपा कैंडिडेट रविंद्र प्रताप सिंह ने 7 हजार 18 वोट लेकर तीसरा स्थान हासिल किया था।

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केसरिया विधानसभा सीट के नतीजे तय करने में जातीय समीकरण की अहम भूमिका है। इस सीट पर राजपूत, यादव, मुस्लिम, कुशवाहा और ब्राह्मण वोटरों की बहुलता है। इसके अलावा सहनी और भूमिहार की भूमिका को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इन सबके बीच वैश्य वोटर भी निर्णायक साबित हो सकते हैं। अगर समस्या की बात करें तो केसरिया के इलाका की सबसे बड़ी समस्या बाढ़ और जलजमाव है। गंडक नदी के किनारे स्थित तटवर्ती गांव हर साल बाढ़ और नदी के कटाव से त्रस्त रहते हैं। गंडक नदी के समानांतर बना चंपारण तटबंध भी जर्जर हो चुका है। पानी के दबाव से इसके टूटने की आशंका बनी रहती है। वहीं सिंचाई के लिए क्षेत्र में कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। वैसे तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को केसरिया को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की पूरी कोशिश की है...लेकिन अभी इस इलाके में पर्यटन का विकास वैसा नहीं हुआ है कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा हों। इसलिए यहां के लोगों का दूसरे प्रदेशों में पलायन अभी भी जारी है। चूंकि शालिनी मिश्रा जेडीयू की वर्तमान विधायक हैं। इसलिए इस बार भी ये सीट एनडीए के ही खाते में जाएगी। अगर पिछली बार लोजपा को मिला वोट शालिनी मिश्रा के पक्ष में ट्रांसफर हो जाए तो महागठबंधन उम्मीदवार की सारी उम्मीदें धरी की धरी रह जाएगी।

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