अखिल भारतीय असैनिक सेवा कला महोत्सव: मंच पर सजी संस्कृति और संवेदनाओं की झलक

Edited By Ramanjot, Updated: 26 Feb, 2025 09:27 PM

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कला, संस्कृति और सामाजिक चेतना के अद्भुत संगम के रूप में अखिल भारतीय असैनिक सेवा संगीत, नृत्य एवं लघु नाट्य प्रतियोगिता 2024-25 का आयोजन बिहार की राजधानी पटना में किया जा रहा है।

पटना: कला, संस्कृति और सामाजिक चेतना के अद्भुत संगम के रूप में अखिल भारतीय असैनिक सेवा संगीत, नृत्य एवं लघु नाट्य प्रतियोगिता 2024-25 का आयोजन बिहार की राजधानी पटना में किया जा रहा है। बिहार सचिवालय स्पोर्ट्स फाउंडेशन के तत्वावधान और केंद्रीय सिविल सेवा सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा बोर्ड, भारत सरकार के मार्गदर्शन में यह प्रतियोगिता ऊर्जा स्टेडियम, राजवंशी नगर में चल रही है। इसमें देशभर से आए सिविल सेवा अधिकारियों ने अपने अभिनय कौशल और सांस्कृतिक प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन किया।

इस प्रतियोगिता में संगीत, नृत्य और नाट्य के माध्यम से सामाजिक मुद्दों, देशभक्ति और मानवीय संवेदनाओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया जा रहा है। इस आयोजन का उद्देश्य अधिकारियों की कलात्मक अभिव्यक्ति को मंच प्रदान करना और संस्कृति के प्रति रुचि बढ़ाना है। यह कार्यक्रम 3 मार्च 2025 तक जारी रहेगा, जिसमें कई और प्रेरणादायक प्रस्तुतियां देखने को मिलेंगी।

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सामाजिक मुद्दों पर आधारित नाटकों ने छोड़ी गहरी छाप

प्रतियोगिता के दौरान विभिन्न राज्यों के सिविल सेवा अधिकारियों ने संवेदनशील सामाजिक विषयों पर आधारित नाटकों का मंचन किया, जिसने दर्शकों और निर्णायक मंडल को गहराई से प्रभावित किया।

हरियाणा सचिवालय की टीम ने 'बलात्कार' नाटक का मंचन किया, जिसने समाज में महिलाओं के प्रति दोहरे रवैये को उजागर किया। इसमें दिखाया गया कि कैसे एक पिता समान व्यक्ति ही लड़की की अस्मिता पर हमला करता है, लेकिन अंततः नायिका न्याय प्राप्त करती है।

आरएसबी मुंबई की टीम ने 'उनीवांची गोष्ठा' का मंचन किया, जिसमें एक अंधे युवक और गूंगी लड़की की शादी के बाद उत्पन्न चुनौतियों को प्रस्तुत किया गया। इस नाटक का संदेश था कि यदि हम एक-दूसरे की कमियों को स्वीकार कर साथ दें, तो जीवन सुखमय हो सकता है।

आरएसबी चंडीगढ़ की ओर से प्रस्तुत 'संक्रमण' नाटक ने बाप-बेटे के रिश्तों में पीढ़ीगत खाई को दर्शाया। यह नाटक परंपरा और आधुनिकता के टकराव को दर्शाते हुए एक संतुलन और समझौते की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

बिहार टीम का ‘पोरस-सिकंदर’ नाटक बना आकर्षण का केंद्र

इस प्रतियोगिता में बिहार सचिवालय टीम द्वारा मंचित ऐतिहासिक नाटक 'पोरस-सिकंदर' सबसे बड़ी आकर्षण रहा। इस नाटक ने भारत की अजेय शक्ति, स्वाभिमान और गौरवशाली इतिहास को प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया। मंचन के दौरान जब पोरस ने सिकंदर से कहा, "जो व्यवहार एक राजा को दूसरे राजा से करना चाहिए, वही करो!", तो दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से इस संवाद का स्वागत किया।

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इस नाटक ने यह संदेश दिया कि भारतीय कभी किसी के आगे नहीं झुके और विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में भी अपने आत्म-सम्मान की रक्षा की। बिहार की टीम के इस मंचन को दर्शकों और जजों ने जमकर सराहा और इसे प्रतियोगिता के सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियों में से एक माना गया।

प्रतियोगिता में विभिन्न राज्यों की शानदार भागीदारी

इस सांस्कृतिक प्रतियोगिता में छत्तीसगढ़, हरियाणा, कर्नाटक, आरएसबी चंडीगढ़, आरएसबी हैदराबाद और आरएसबी मुंबई सहित कई राज्यों के अधिकारियों ने अपनी प्रस्तुतियों से मंच को जीवंत कर दिया।

प्रतियोगिता में रहे गणमान्य अधिकारी उपस्थित

इस कार्यक्रम में कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से राहुल कुमार (भा.प्र.से.), विजय प्रकाश मीणा (भा.प्र.से.), अभिषेक रंजन (भा.प्र.से.), विनोद दूहन (भा.प्र.से.), साहिला (भा.प्र.से.), प्रतिभा रानी (भा.प्र.से.), निखिल धनराजर निप्पनीकर (भा.प्र.से.), शेखर आनंद (भा.प्र.से.),आशुतोष द्विवेदी (भा.प्र.से.) सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।

सांस्कृतिक प्रतिभा को मंच देने का सफल प्रयास

यह प्रतियोगिता केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सिविल सेवा अधिकारियों की रचनात्मक अभिव्यक्ति का राष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण मंच है। इस आयोजन ने कला, संस्कृति और सामाजिक जागरूकता को एक साथ पिरोने का काम किया है। आने वाले दिनों में भी कई और रोचक प्रस्तुतियां देखने को मिलेंगी।

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