Edited By Swati Sharma, Updated: 17 Oct, 2024 10:40 AM
बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद के बहुचर्चित हत्याकांड में उच्चतम न्यायालय से सजा बहाल होने के बाद पूर्व विधायक विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी ने बुधवार को पटना की एक सत्र अदालत में आत्मसमर्पण किया, जहां उन्हें न्यायिक...
पटना: बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद के बहुचर्चित हत्याकांड में उच्चतम न्यायालय से सजा बहाल होने के बाद पूर्व विधायक विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी ने बुधवार को पटना की एक सत्र अदालत में आत्मसमर्पण किया, जहां उन्हें न्यायिक हिरासत में लेने के बाद सजा भुगतने के लिए जेल भेज दिया गया।
दोनों दोषियों ने न्यायिक अभिरक्षा में लिए जाने की प्रार्थना की थी
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (संख्या-3) के प्रभारी न्यायाधीश सुरेंद्र प्रसाद की अदालत में अपने वकीलों सुनील कुमार और शैलेश कुमार सिंह के माध्यम से आत्मसमर्पण करते हुए दोनों दोषियों ने न्यायिक अभिरक्षा में लिए जाने की प्रार्थना की थी। दोनों दोषियों की ओर से अलग-अलग दाखिल किए गए आवेदन पर सुनवाई के बाद अदालत ने दोनों को न्यायिक हिरासत में लेने के बाद सजा भुगतने के लिए पटना के आदर्श केंद्रीय कारागार बेउर भेजने का आदेश दिया। गौरतलब है कि 13 जून 1998 को पटना के शास्त्री नगर थाना क्षेत्र स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) के परिसर में तत्कालीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री बृज बिहारी प्रसाद और उनके अंगरक्षक लक्ष्मेश्वर साह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना में एक व्यक्ति भूपेंद्र भगत भी घायल हो गया था। मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो सीबीआई को दी गई थी। प्राथमिकी में 6 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया था, जिनमें पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी भी शामिल थे।
सीबीआई ने अनुसंधान पूरा करने के बाद नौ लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था, जिनके खिलाफ विचारण करने के बाद पटना के तत्कालीन अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश संख्या 3 की अदालत ने 12 अगस्त 2009 को सभी नौ लोगों को दोषी करार दिया था। सत्र न्यायालय के आदेश को सभी दोषियों की ओर से पटना उच्च न्यायालय में अपील दाखिल कर चुनौती दी गई थी। उक्त अपील में पटना उच्च न्यायालय ने 24 जुलाई 2014 को सभी दोषियों को निर्दोष पाते हुए रिहा कर दिया था। पटना उच्च न्यायालय के उक्त आदेश के खिलाफ सीबीआई और स्वर्गीय बृज बिहारी प्रसाद की पत्नी पूर्व सांसद रमा देवी ने उच्चतम न्यायालय में अपील दाखिल की थी। अपील पर सुनवाई के बाद 03 अक्टूबर 2024 को उच्चतम न्यायालय ने विजय कुमार शुक्ला उफर् मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को निचली अदालत से हुई सजा को बहाल रखा और बाकी अन्य व्यक्तियों को बरी कर दिया था। इन दोनों दोषियों को 15 दिनों के अंदर सत्र न्यायालय में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया गया था। उच्चतम न्यायालय के इस आदेश के आलोक में बुधवार दोनों दोषियों ने सत्र न्यायालय में आत्मसमर्पण कर सजा भुगतने के लिए जेल भेजे गए हैं।
20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया
उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार, दोनों अभियुक्तों को भारतीय दंड विधान की धारा 302/34 के तहत आजीवन कारावास के साथ 20 हजार रुपये का जुर्माना और भारतीय दंड विधान की धारा 307/34 के तहत पांच वर्ष के सश्रम कारावास के साथ 20 हजार रुपये के जुर्माने की सत्र अदालत के सजा की संपुष्टि की गई है। साथ ही जुर्माने की राशि अदा नहीं करने पर दोनों दोषियों को छह माह के कारावास की सजा अलग से भुगतनी होगी।