केंद्रीय बजट में बिहार की मांगः राज्य के राजकोषीय घाटा सीमा को GSDP का 4% किया जाए

Edited By Ramanjot, Updated: 26 Nov, 2022 12:04 PM

bihar s demand in the union budget

इस बैठक में विभिन्न राज्यों के माननीय मुख्यमंत्रीगण, वित्त मंत्रीगण, भारत सरकार के वित्त सचिव एवं राज्यों के वित्त सचिव शामिल हुए। इस बजट-1 पूर्व बैठक में बिहार राज्य की ओर से विजय कुमार चौधरी, माननीय वित्त, वाणिज्य कर एवं संसदीय कार्य मंत्री तथा डॉ...

नई दिल्ली/पटनाः माननीय वित्त मंत्री, भारत सरकार की अध्यक्षता में राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेश के वित्त मंत्रियों के साथ वित्तीय वर्ष 2023-24 के केन्द्रीय बजट के पूर्व विचार-विमर्श हेतु आहूत बैठक शुक्रवार को नई दिल्ली में संपन्न हुआ। इस बैठक में विभिन्न राज्यों के माननीय मुख्यमंत्रीगण, वित्त मंत्रीगण, भारत सरकार के वित्त सचिव एवं राज्यों के वित्त सचिव शामिल हुए। इस बजट-1 पूर्व बैठक में बिहार राज्य की ओर से विजय कुमार चौधरी, माननीय वित्त, वाणिज्य कर एवं संसदीय कार्य मंत्री तथा डॉ एस सिद्धार्थ, अपर मुख्य सचिव, वित्त विभाग द्वारा भाग लिया गया।

माननीय वित्त मंत्री द्वारा अपने अभिभाषण में बिहार के आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्र के विकास में आनेवाली चुनौतियों की तरफ ध्यान आकर्षित किया गया तथा इसके समाधान हेतु कतिपय सुझाव दिए गए। बैठक में उठाए गए महत्वपूर्ण बिन्दु एवं सुझाव इस प्रकार है:-

i. वित्तीय समेकन के दृष्टिकोण से बिहार जैसे पिछड़े राज्य की राजकोषीय घाटा सीमा को राज्य सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) का 4 प्रतिशत किया जाए।
ii. केन्द्रीय प्रायोजित योजनाओं में बिहार को विशेष सहायता के रूप में केन्द्रांश-राज्यांश का Sharing Pattern 90:10 किया जाए।
iii. आधारभूत संरचनाओं के विकास एवं परिसंपत्तियों के सृजन पर व्यय हेतु बिहार स्पेशल प्लान (द्वितीय चरण) के रूप में 20,000 करोड़ रूपए स्वीकृत किया जाए।
iv. केन्द्र प्रायोजित योजनाओं की संख्या को नीति आयोग के निर्णय के अनुसार 30 तक ही सीमित रखा जाए इससे अधिक की योजनाओं में व्यय की जानेवाली राशि भारत सरकार द्वारा शत-प्रतिशत वहन करना चाहिए।
v. Single Nodal Account में 40 दिन के अंदर राज्याश जमा करने की शर्त को समाप्त किया जाना चाहिए।
vi. Cess and surcharge को केन्द्रीय विभाज्य पूल में शामिल किया जाना चाहिए ताकि इससे सभी राज्य लाभान्वित हो सके।

इन सुझावों को आगामी केन्द्रीय बजट में सम्मिलित करने हेतु अनुरोध भी किया गया। माननीय वित्त मंत्री द्वारा अपने अभिभाषण के साथ राज्य की तरफ से माननीया वित्त मंत्री, भारत सरकार को एक ज्ञापन (Memorandum) भी सौंपा गया, जिसमें राज्य के कई मांगों को रखा गया है:-

i. PMGSY पथों के अनुरक्षण एवं रख-रखाव मद में भी केन्द्रांश की राशि राज्यों को उपलब्ध कराई जाए।
ii. सुदूर पंचायतों, गांवों, हाट-बाजार को प्रखंड/अनुमण्डल एवं जिला से जोड़ने हेतु अतिरिक्त सुलभ संपर्क योजना के तहत राज्यों को निधि उपलब्ध कराई जाए।
iii. ऊर्जा के क्षेत्र में One Nation One Tariff लागू किया जाए।
iv. Smart Prepaid Meter के लिए नाबार्ड के RIAS Fund के तहत विद्युत वितरण कम्पनियों को ऋण उपलब्ध कराई जाए।
v. समग्र शिक्षा के तहत भारत सरकार द्वारा शिक्षकों को वेतन मद में कटौती की गई राशि राज्यों को उपलब्ध कराई जाए।
vi. पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग के कक्षा 1-8 तक के छात्रों को भी प्रधानमंत्री यशस्वी योजना के तहत 50:50 के अनुपात में छात्रवृत्ति प्रदान किया जाए।
vii. राज्य में स्वास्थ्य प्रक्षेत्र के विकास हेतु आगामी बजट में अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराई जाए।
viii. राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केन्द्र की स्थापना दरभंगा में किया जाए।
ix. कोशी मेची नदी जोड़ योजना को High Powered Committee की अनुशंसा के आलोक में कियान्वयन किया जाय।

इसके अतिरिक्त कई अन्य मुद्दे, जो भारत सरकार के अंतर्गत लम्बित हैं, उन्हें भी ज्ञापन (Memorandum) में रखा गया है। माननीय वित्त मंत्री का अभिभाषण एवं ज्ञापन (Memorandum) की प्रति इसके साथ संलग्न है।

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