Edited By Ramanjot, Updated: 01 Aug, 2025 07:26 PM

राज्य के पूर्व सैनिकों, उनके आश्रितों और शहीद सैनिकों की विधवाओं के उत्थान के लिए बिहार सैनिक कल्याण निदेशालय के अधीन जल्द ही सैनिक कल्याण निगम की स्थापना की जाएगी।
पटना:राज्य के पूर्व सैनिकों, उनके आश्रितों और शहीद सैनिकों की विधवाओं के उत्थान के लिए बिहार सैनिक कल्याण निदेशालय के अधीन जल्द ही सैनिक कल्याण निगम की स्थापना की जाएगी। साथ ही, राज्य के एक दर्जन अन्य जिलों में सैनिक कल्याण केन्द्रों की भी स्थापना की जाएगी। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अरविन्द कुमार चौधरी ने शुक्रवार को शहीद सैनिकों की वीरांगनाओं एवं पूर्व सैनिकों की आश्रित पत्नी व बेटियों को स्वाबलंबी बनाने के उद्देश्य से सैनिक कल्याण निदेशालय द्वारा राज्य में पहली बार आयोजित दस दिवसीय सिलाई प्रशिक्षण शिविर के बाद 20 वीरांगनाओं के बीच स्वचालित सिलाई मशीन और सिलाई प्रशिक्षण से संबंधित प्रमाण पत्र का वितरण कर रहे थे।
इस प्रशिक्षण शिविर का आयोजन सैनिक कल्याण निदेशालय, भारतीय स्टेट बैंक और एक गैर सरकारी संगठन नव अस्तित्व के संयुक्त तत्वाधान में राजधानी के अल्बर्ट एक्का भवन में किया गया था। इस मौके पर चौधरी ने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए सैनिक कल्याण निदेशालय का आभार व्यक्त किया और वीरांगनाओं से कहा कि सिलाई की यह कला सीखने के बाद आपको काम की कमी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि पूर्व फौजियों और उनके आश्रितों के लिए अगले दो माह के अंदर सैनिक कल्याण निगम की स्थापना कर दी जाएगी। इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देशन में काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि फ़िलहाल बिहार के केवल 13 जिलों में ही जिला सैनिक कल्याण केंद्र कार्यरत हैं। राज्य के 12 अन्य जिलों में जल्द ही इसकी स्थापना की जा रही है।
इस मौके पर बिहार सैनिक कल्याण निदेशालय के निदेशक ब्रिगेडियर मृगेंद्र कुमार, भारतीय स्टेट बैंक की राजभवन शाखा की मुख्य प्रबंधक पल्लवी प्रियदर्शिनी, सैनिक कल्याण निदेशालय के सहायक निदेशक कर्नल संतोष त्रिपाठी समेत राज्य सरकार व भारतीय सेना के कई अधिकारी मौजूद थे।
चौधरी ने सिलाई का प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली वीरांगनाओं से कहा कि आपके पास काम करने के कई विकल्प उपलब्ध हैं। आप चाहें तो सामूहिक तौर पर मिलकर सिलाई केंद्र की स्थापना कर सकती हैं और महज चार घंटे काम करके खुद को आर्थिक रूप से सशक्त बना सकती हैं। उन्होंने सैनिक कल्याण निदेशालय के अधिकारियों को निर्देश दिया कि आप इन् वीरांगनाओं से सुझाव प्राप्त करके इस तरह के और भी प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन करें। ताकि देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले सैनिकों के आश्रित अपने पैर पर खड़े हो सकें।