Bihar Elections: सुपौल में आठवीं बार सत्ता का सिकंदर बनने की आस में JDU के बिजेंद्र प्रसाद यादव

Edited By Ramanjot, Updated: 05 Nov, 2020 04:55 PM

bijendra prasad yadav in the hope of becoming alexander

बिहार में तीसरे चरण में सात नवंबर को सुपौल जिले में हो रहे विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के दिग्गज नेता तथा ऊर्जा, मद्य निषेध, उत्पाद और निबंधन मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव आठवीं बार सत्ता के सिकंदर बनने की ख्वाहिश में है। वहीं तीन...

पटनाः बिहार में तीसरे चरण में सात नवंबर को सुपौल जिले में हो रहे विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के दिग्गज नेता तथा ऊर्जा, मद्य निषेध, उत्पाद और निबंधन मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव आठवीं बार सत्ता के सिकंदर बनने की ख्वाहिश में है। वहीं तीन सीटों पर नए प्रत्याशी निवर्तमान विधायक को चुनौती दे रहे हैं।

बिहार विधानसभा की हॉट सीट में शुमार सुपौल में सात बार जीत का परचम लहरा चुके जदयू प्रत्याशी और मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है। जदयू उम्मीदवार बिजेन्द्र यादव के विजयपथ रोकने के लिए महागठबंधन ने कांग्रेस के नए सिपाही मिन्नतुल्लाह रहमानी पर दाव लगाया है। वहीं, लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने पहली बार सियासी कर्मभूमि में भाग्य आजमा रहे प्रभाष चंद्र मंडल को उतारकर जदयू प्रत्याशी की मुश्किलें बढ़ा दी है। सुपौल विधान सभा इलाका यादव, राजपूत और मुस्लिम बहुल क्षेत्र है, यहां करीब तीन लाख मतदाता हैं। इलाके में माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण से ही उम्मीदवार की हार-जीत तय होती है। इस बार माय समीकरण पूरी तरह तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के नाम पर महागठबंधन के उम्मीदवारों के साथ मजबूती से खड़ा है। इसके अलावा अति पिछड़ा वर्ग की भी अच्छी आबादी है। ब्राह्मण और दलित वोटर की भी तादाद अच्छी-खासी है। वर्ष 2015 में जदयू के बिजेन्द्र यादव ने भाजपा के किशोर कुमार को 37397 मतों से पराजित किया था। सुपौल सीट से 11 प्रत्याशी चुनावी रणभूमि में हुंकार भर रहे हैं।

सुपौल विधानसभा सीट पर तीन दशक से लगातार बिजेंद्र यादव की धाक रही है। वर्ष 1990 में प्रदेश में हुए सत्ता परिवर्तन के दौर में पहली बार सुपौल की सियासी सरजमीं पर बिजेन्द्र यादव ने जनता दल के टिकट पर शानदार जीत का आगाज किया जो बदस्तूर जारी है। इसके बाद वह वर्ष 1995 में भी जनता दल के टिकट पर निर्वाचित हुए। बिजेन्द्र यादव ने वर्ष 2000, फरवरी 2005, अक्टूबर 2005, 2010,2010 और 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू के टिकट पर जीत हासिल की। यह क्षेत्र कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। इस क्षेत्र से सात बार कांग्रेस के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। सुपौल में कोसी की त्रासदी और विस्थापन आज भी एक बड़ी समस्या के रूप में विद्यमान है। भले ही विकास की लंबी-चौड़ी बातें कर ली जाए, लेकिन कोसी क्षेत्र में बसी एक बड़ी आबादी हर वर्ष कोसी की त्रासदी झेलने को विवश होती है।

भारत-नेपाल सीमा से सटा छातापुर विधानसभा सीट से सियासी पिच पर जीत की हैट्रिक लगा चुके भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी और निर्वतमान विधायक नीरज कुमार सिंह बब्लू इस बार चौका लगाने की फिराक में लगे हैं। दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के चचेरे भाई नीरज कुमार सिंह की जीत की राह को रोकने के लिए महागठबंधन ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नए सूरमा विपिन कुमार सिंह पर भरोसा जताया है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के मोहम्मद मतीन अंसारी भी चुनावी रणभूमि में उतरकर मुकाबले को रोचक बनाने में लगे हुए हैं। वर्ष 2015 में भाजपा के नीरज कुमार सिंह ने राजद के जहूर आलम को 9292 मतों के अंतर से पराजित किया था। इस क्षेत्र में बाढ़, बेरोजगारी, पिछड़ापन, विकास, शैक्षणिक पिछड़ापन मुख्य चुनावी मुद्दा है। भाजपा के नीरज कुमार हर हाल में इस पर अपना कब्जा बरकरार रखने की जुगत में है। वहीं अन्य प्रत्याशी भी लड़ाई को अपने पक्ष में करने की कोशिश में जी जान से लगे हुए हैं।

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