पंचायतों को विकसित करने की CM नीतीश कुमार की कोशिश हुई सफल, 3 ग्राम पंचायतों को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार

Edited By Ramanjot, Updated: 20 Dec, 2024 02:36 PM

cm nitish kumar s efforts to develop panchayats were successful

स्वस्थ ग्राम पंचायत विषय पर मुजफ्फरपुर जिले के कटरा प्रखंड की जजुआर मध्य पंचायत ने राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा स्थान हासिल किया है। वहीं आत्मनिर्भर बुनियादी ढांचा युक्त ग्राम पंचायत श्रेणी में नालंदा जिले के एकंगरसराय प्रखंड का पारथू ग्राम पंचायत को भी...

पटना (विकास कुमार): मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) बिहार के पंचायतों के विकास पर बार-बार जोर देते हैं। नीतीश कुमार के नेतृत्व और मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा (Amrit Lal Meena) के दिशा निर्देश पर प्रशासन ने राज्य के पंचायती तंत्र को मजबूत करने पर ध्यान दिया है। इसी का परिणाम है कि बिहार के तीन ग्राम पंचायतों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा है। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में तीनों पंचायतों को सतत विकास पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया है। 

स्वस्थ ग्राम पंचायत विषय पर मुजफ्फरपुर जिले के कटरा प्रखंड की जजुआर मध्य पंचायत ने राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा स्थान हासिल किया है। वहीं आत्मनिर्भर बुनियादी ढांचा युक्त ग्राम पंचायत श्रेणी में नालंदा जिले के एकंगरसराय प्रखंड का पारथू ग्राम पंचायत को भी तीसरा स्थान हासिल हुआ है। सुशासन युक्त पंचायत की श्रेणी में जहानाबाद जिले के मखदुमपुर प्रखंड के पुनहाड़ा पंचायत को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है। इस उपलब्धि के आधार पर बिहार के इन तीनों पंचायतों को 50 लाख रुपए की पुरस्कार राशि से भी सम्मानित किया गया है। केंद्रीय पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने विजेता पंचायतों को डिजिटल माध्यम से इनामी राशि दी है। पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता ने इसके लिए तीनों ग्राम पंचायतों को बधाई भी दी है। इस समारोह में राज्य के 22 जिलों से 48 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था। 

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क्या है पंचायत विकास सूचकांक?
पंचायत विकास सूचकांक यानी पीडीआई एक बहु-क्षेत्रीय और बहु-क्षेत्रीय सूचकांक है, जिसका उद्देश्य पंचायतों के समग्र समग्र विकास, प्रदर्शन और प्रगति का आकलन करना है। पंचायत विकास सूचकांक किसी पंचायत के अधिकार क्षेत्र में स्थानीय समुदायों की भलाई और विकास की स्थिति का आकलन करने के लिए विभिन्न सामाजिक-आर्थिक संकेतकों और मापदंडों को ध्यान में रखता है। पंचायत विकास सूचकांक भारत में पंचायतों के समग्र विकास का आकलन करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक उपकरण है। यह एक बहु-क्षेत्रीय सूचकांक है जो मापने के लिए विभिन्न संकेतकों को शामिल करता है। पंचायती राज मंत्रालय के द्वारा 9 विषयों अंतर्गत 144 स्थानीय लक्ष्यों और 688 डाटा बिंदुओं के आधार पर 577 स्थानीय संकेतक सुझाए गए हैं, जो पंचायत विकास सूचकांक की समुचित गणना के लिए आवश्यक हैं। यह पंचायतों में सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण के माध्यम से वर्ष 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने की राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को मजबूती प्रदान कर रहा है। 

‘पंचायत विकास सूचकांक के तहत नौ ‘थीम’ का होता है आकलन’ 
पंचायत विकास सूचकांक के तहत नौ थीम का आकलन किया जाता है। गरीबी मुक्त और उच्च जीवन स्तर, स्वस्थ गांव, बच्चों के लिए उपयुक्त गांव, गांव में पानी की उपलब्धता, स्वच्छ एवं हरित गांव, आत्म निर्भर आधारभूत संरचना युक्त गांव, सामाजिक न्याय से सामाजिक सुरक्षा से युक्त गांव, सुशासन से युक्त गांव और महिलाओं को सम्मान देने वाला गांव जैसे कुल नौ थीम के आधार पर पंचायत विकास सूचकांक तैयार किया जाता है। 

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सतत विकास लक्ष्य के लिए गांव का विकास है जरुरी 
भारत साल 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस उद्देश्य की पूर्ति में स्थानीय सरकारों को शामिल करने के लिए को नीति आयोग ने सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण का निर्णय लिया।इसके बाद पंचायती राज मंत्रालय के द्वारा 17 सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण हेतु 9 थीम निर्धारित किया गया। इन 9 थीमों में पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा पंचायत विकास सूचकांक (पीडीआई) का विकास किया गया है। 

बिहार में पंचायत विकास सूचकांक 
बिहार राज्य में पंचायत विकास सूचकांक (PDI) के सुचारू एवं सफल क्रियान्वयन हेतु राज्य स्तर पर 02, जिला स्तर पर 02, अनुमंडल स्तर पर 01 एवं प्रखण्ड स्तर पर 01 समिति का गठन किया गया है। डाटा संग्रहण एवं सत्यापन हेतु विभिन्न स्तर पर कुल 18 विभागों की सहायता ली गई है। राज्य स्तर पर कुल 485 स्थानीय संकेतक एवं 514 डाटा बिंदुओं को कॉन्फ़िगर किया गया। इनमें से 134 डाटा बिंदुओं का डाटा एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) के माध्यम से स्वतः विभिन्न विभागों के प्रमाणित पटल से लिया जाता है। डाटा के संग्रहण के उपरांत विभागों द्वारा उनके सत्यापन की व्यवस्था की गई है। बिहार का कुल l DCF  1,61,060, GPs  8,053,DCF per GPs- 20 और progress by GP- 100फीसदी है। 

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कैसे तय की जाती है पंचायतों की रैंकिंग?
प्राप्त डाटा के आधार पर पंचायती राज संस्थाओं हेतु थीम वार एवं समेकित स्कोर जारी किया जाता और प्राप्त स्कोर के आधार पर पंचायतों (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति एवं जिला परिषदों) की रैंकिंग की जाती है। मूल्यांकन वर्ष 2022-23 में पंचायत विकास सूचकांक (PDI) के पटल पर अंकित डाटा एवं स्वयं के निधि के स्त्रोत (OSR) के द्वारा अर्जित आय के आधार पर पंचायतों को राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जिसमें बिहार की तीन ग्राम पंचायतें भी शामिल हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गांव के गरीब लोगों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए अनेक योजनाएं लागू की है। जीविका दीदी जैसी योजना से गांवों में महिलाओं की स्थिति में  भी काफी सुधार आया है। वहीं जल-जीवन हरियाली मिशन से जल संसाधनों को पुनःसृजित किया गया है। गांव के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार का ही नतीजा है कि पंचायत विकास सूचकांक के आधार पर बिहार के तीन पंचायतों को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। अब इससे प्रेरणा लेकर बिहार के और भी पंचायत आने वाले वक्त में बेहतर प्रदर्शन करेंगे।

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