Edited By Ramanjot, Updated: 04 Aug, 2025 06:04 PM

मुख्यमंत्री उद्यमी योजनाएं ग्रामीण युवाओं और महिलाओं को न केवल आर्थिक आत्मनिर्भरता प्रदान कर रही हैं, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार का सृजन कर सामाजिक-आर्थिक विकास की दिशा में अहम भूमिका निभा रही हैं।
पटना:मुख्यमंत्री उद्यमी योजनाएं ग्रामीण युवाओं और महिलाओं को न केवल आर्थिक आत्मनिर्भरता प्रदान कर रही हैं, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार का सृजन कर सामाजिक-आर्थिक विकास की दिशा में अहम भूमिका निभा रही हैं।
राज्य सरकार के उद्योग विभाग की योजनाओं से जिले के कई युवाओं और महिलाओं ने न केवल अपने लिए रोजगार के अवसर सृजित किए हैं, बल्कि कई अन्य लोगों के लिए भी रोजगार के द्वार खोले हैं। बांका जिले की ये प्रेरणादायक कहानियां राज्य में उद्यमिता विकास की मजबूत मिसाल पेश कर रही हैं।
बांका के रहने वाले मंतोष कुमार ने रेडीमेड गारमेंट्स का व्यवसाय शुरू किया और 10 लाख रुपये की सहायता से इसे आगे बढ़ाया। आज वे 8 लोगों को सीधा रोजगार दे रहे हैं और 20 परिवारों का नियोजन कर रहे हैं। उनका टर्नओवर 50 लाख रुपये तक पहुंच चुका है।
इसी तरह मुकेश पहले एक शिक्षित बेरोजगार थे और बच्चों को होम ट्यूशन दिया करते थे। लेकिन मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के अंतर्गत उन्हें 9 लाख रुपये की आर्थिक सहायता मिली, जिससे उन्होंने आइसक्रीम उत्पादन की इकाई स्थापित की। आज वे एक सफल उद्यमी हैं और आठ अन्य लोगों को रोजगार दे रहे हैं। उनकी सालाना आमदनी 10 लाख रुपये हो चुकी है। वे कहते हैं, “अब मैं एक कंपनी का मालिक हूं और इसके लिए उद्योग विभाग का आभारी हूं।”
रंजीत कुमार सिंह ने नोटबुक निर्माण का काम शुरू किया। मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना से प्राप्त 10 लाख रुपये की सहायता से उन्होंने अपनी इकाई स्थापित की और दो परिवारों को नियमित रूप से रोजगार उपलब्ध कराया। उनका टर्नओवर भी 10 लाख रुपये के करीब पहुंच गया है।
महिलाओं में भी इस योजना से आत्मनिर्भरता की नई मिसाल कायम हो रही है। भाग्यश्री को मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना के अंतर्गत 10 लाख रुपये की राशि प्राप्त हुई, जिससे उन्होंने बेकरी उत्पादन की इकाई स्थापित की। आज वे आठ लोगों को रोजगार दे रही हैं और सात परिवारों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ कर रही हैं।
इसी तरह, रूबी देवी ने पोहा/चूड़ा उत्पादन के लिए 10 लाख रुपये की सहायता प्राप्त की और अपने व्यवसाय से आठ लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया। उनका वार्षिक टर्नओवर 12 लाख रुपये है और पांच परिवारों को वे सीधे तौर पर आजीविका का साधन उपलब्ध करा रही हैं।