'डॉग बाबू' के नाम से बना निवास प्रमाण-पत्र! एक निलंबित, दूसरा बर्खास्त

Edited By Ramanjot, Updated: 28 Jul, 2025 08:19 PM

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बिहार के पटना जिले के मसौढ़ी अंचल से संबंधित ‘डॉग बाबू’ के नाम से एक निवास प्रमाण-पत्र जारी करने के मामले में पटना जिला प्रशासन ने त्‍वरित कार्रवाई की है। इस मामले में एक अधिकारी को तत्‍काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

पटना:बिहार के पटना जिले के मसौढ़ी अंचल से संबंधित ‘डॉग बाबू’ के नाम से एक निवास प्रमाण-पत्र जारी करने के मामले में पटना जिला प्रशासन ने त्‍वरित कार्रवाई की है। इस मामले में एक अधिकारी को तत्‍काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। वहीं, दूसरे की सेवा समाप्‍त कर दी गई है। इसके अलावा सरकार की ओर जारी आदेश में पटना जिला पदाधिकारी त्‍यागराजन एसएम को इस पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

गलत प्रमाण-पत्र कैसे जारी हुआ?

जांच में पता चला कि दिल्ली की एक महिला के आधार कार्ड का इस्तेमाल कर 15 जुलाई 2025 को ऑनलाइन आवेदन किया गया था। आवेदन में दिए गए कागजातों का ठीक से सत्यापन किए बिना ही निवास प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया। जांच रिपोर्ट में आईटी सहायक और राजस्व अधिकारी, दोनों को दोषी ठहराया गया है। इन पर गलत डिजिटल हस्ताक्षर करने और नियमों की अनदेखी करने का आरोप है। इसके अलावा जिस व्यक्ति के पहचान पत्र का दुरुपयोग किया गया वह भी जांच के दायरे में है।

दोषियों पर सख्त कार्रवाई

मामले की जानकारी होने पर जिला प्रशासन तुरंत हरकत में आया। मामले के जांच के आदेश दिए गए। इस मामले में राजस्व अधिकारी मुरारी चौहान को निलंबित करने की अनुशंसा जिला पदाधिकारी ने कर दी है। वहीं, आईटी सहायक को तत्काल सेवा से कार्य मुक्त कर दिया गया है। इसके अलावा अज्ञात आवेदक और दोनों अधिकारियों पर भारतीय न्‍याय संहिता की धारा 316(2), 336(3), 338 और 340(2) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

आगे होगा क्‍या!

फिलहाल यह मामला पुलिस अनुसंधान में है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। ‘डॉग बाबू’ के निवास प्रमाण-पत्र को रद्द कर दिया गया है। बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी ने सभी जिला पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि NIC के सर्विस प्लस पोर्टल पर दस्तावेजों के सत्यापन की प्रक्रिया का कड़ाई से पालन किया जाए। साथ ही जल्द ही इस पोर्टल पर AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की मदद ली जाए। ताकि आगे किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोका जा सके। यह मामला न केवल सिस्टम की कमजोरियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि बिहार सरकार अब डिजिटल धोखाधड़ी पर कड़ी नजर रखे हुए है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

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