Edited By Harman, Updated: 09 Aug, 2025 12:24 PM

चुनाव आयोग ने कहा कि शनिवार सुबह नौ बजे तक बिहार में मतदाता पंजीकरण अधिकारियों को किसी दल की ओर से कोई आपत्ति या दावा नहीं मिला है, लेकिन इस दौरान मतदाताओं की ओर से 7252 दावे और आपत्तियां जरूर मिली हैं। इसके अलावा 18 वर्ष या उससे ऊपर की आयु प्राप्त...
Bihar Voter List: चुनाव आयोग ने शनिवार को कहा कि बिहार में मतदाता सूची के मसौदे को लेकर किसी भी राजनीतिक दल ने अब तक एक भी दावा या आपत्ति नहीं की है। मसौदा सूची पहली अगस्त को अपराह्न तीन बजे जारी की गई थी।
मतदाताओं की ओर से मिले 7252 दावे और आपत्तियां
आयोग ने कहा है कि शनिवार सुबह नौ बजे तक बिहार में मतदाता पंजीकरण अधिकारियों को किसी दल की ओर से कोई आपत्ति या दावा नहीं मिला है, लेकिन इस दौरान मतदाताओं की ओर से 7252 दावे और आपत्तियां जरूर मिली हैं। इसके अलावा 18 वर्ष या उससे ऊपर की आयु प्राप्त कर चुके नये लोगोंं के नाम मतदाता सूची में दर्ज कराने के लिए अब तक 43123 फार्म-6 (घोषणा-पत्र सहित) प्राप्त हुए हैं।
दावे और आपत्तियां एक सितंबर से पहले करा सकते दर्ज
गौरतलब है कि सूची पुनरीक्षण पर विपक्षी दलों के विरोध के बीच आयोग बार-बार कहता आ रहा है कि सूची में कोई भी योग्य मतदाता छूटे नहीं और कोई भी अयोग्य मतदाता जुड़े नहीं, इसके लिए मसौदे में किसी भी त्रुटि या चूक पर लोग अपने दावे और आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। आयोग के अनुसार पुनरीक्षण में लोगों की मदद और अधिकारियों के साथ समन्वय के लिए बिहार में मान्यता प्राप्त दलों ने कुल 160813 बूथ स्तरीय एजेंट लगा रखे हैं। इनमें विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के 47506, कांग्रेस पार्टी के 17549, सत्तारुढ जनता दल यूनाइटेड (जद-यू) के 36550 और भाजपा के 53339 बूथ स्तरीय एजेंट हैं। मसौदा सूची की प्रविष्टियों के संंबंध में दावे और आपत्ति मतदाता पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) और सहायक मतदाता पंजीकरण अधिकारियों (एईआरओ) के पास एक सितंबर से पहले दर्ज कराये जा सकते हैं। अधिकारी इन दावों और आपत्तियों पर जांच और समुचित सुनवाई कर के इन पर सात दिन बाद तथ्य एवं व्याख्या सहित निर्णय देंगे। इन निर्णयों पर आगे जिला चुनाव अधिकारी और राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी तक अपील की सकती है। विपक्षी दल बिहार में मतदाता पुनरीक्षण के मुद्दे पर संसद के अंदर और बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। संसद के मानसून सत्र में दोनों सदनों की कार्यवाही विपक्ष के हंगामे के कारण लगातार बाधित चल रही है। पुनरीक्षण के विरोध में कई याचिकाएं उच्चतम न्यायालय के विचाराधीन हैं।