बिहार में पंचायती विकास की ध्वजवाहक बनी महिलाएं, 50% से ज्यादा पंचायतों में नेतृत्व

Edited By Ramanjot, Updated: 27 Jun, 2025 07:16 PM

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राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का शुरू से ही सपना रहा है कि राज्य की महिलाएं सशक्त बनें और सामाजिक बदलाव की अग्रदूत बनें। उनके इस संकल्प को साकार करने में पंचायती राज विभाग की  भूमिका अत्यंत सराहनीय रही है।

पटना:राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का शुरू से ही सपना रहा है कि राज्य की महिलाएं सशक्त बनें और सामाजिक बदलाव की अग्रदूत बनें। उनके इस संकल्प को साकार करने में पंचायती राज विभाग की  भूमिका अत्यंत सराहनीय रही है। राज्य सरकार का पंचायती राज विभाग समाज के अंतिम तबके की अंतिम महिला को सशक्त बनाने के लिए प्रयासरत है। राज्य में आदर्श महिला हितैषी ग्राम पंचायत के रूप में विकसित करने के लिए चयनित 38 ग्राम पंचायतों में से 29 की कमान महिला जन प्रतिनिधि के हाथों में है। 

पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता ने 16 जून 2025 को आयोजित कार्यशाला में स्पष्ट किया कि ग्राम पंचायतों के विकास से ही राज्य और देश का समग्र विकास संभव है। इसी दृष्टिकोण से महिला जनप्रतिनिधियों को केवल अधिकार नहीं दिए गए, बल्कि उन्हें सक्षम नेतृत्वकर्ता बनाने हेतु निरंतर प्रशिक्षण और एक्सपोजर कार्यक्रम भी संचालित किए जा रहे हैं। उन्हें ई-ग्राम स्वराज पोर्टल, वित्तीय प्रबंधन, प्रशासनिक प्रक्रियाएं और सामाजिक नेतृत्व के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षित किया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2025 के उपलक्ष्य में 4-5 मार्च को नई दिल्ली में "सशक्त पंचायत-नेत्री अभियान" की शुरुआत की गई, जिसमें बिहार की महिला पंचायत प्रतिनिधियों ने भाग लिया।  

इस अवसर पर सभी राज्यों के सभी जिले में एक ग्राम पंचायत को आदर्श महिला हितैषी ग्राम पंचायत के रूप में विकसित करने की घोषणा की गई। इसके बाद राज्य स्तर पर भी 5 मार्च को प्रत्येक जिले से एक ग्राम पंचायत को आदर्श महिला हितैषी ग्राम पंचायत के रूप में चयनित किया गया। 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य में महिला सशक्तिकरण की दिशा में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए गए हैं। वर्ष 2005 में त्रि-स्तरीय पंचायती राज संस्थाओं एवं नगर निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय इसी दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ है। इसके फलस्वरूप आज बिहार की पंचायतों में महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है। 

आंकड़ों के अनुसार, राज्य की 50 प्रतिशत से अधिक ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों और जिला परिषदों का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं।

गौरतलब है वर्ष 2024 बिहार की ग्राम तीन पंचायतों को विभिन्न श्रेणियों में दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सतत विकास पुरस्कार (राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार-2024) में तृतीय स्थान प्राप्त करने पर राष्ट्रपति ने पुरस्कृत किया था। पुरस्कार के लिए चयनित इन तीन ग्राम पंचायतों (जजुआर मिडिल, पुनहाड़ा और परथु) में से दो का नेतृत्व महिला मुखिया (निभा कुमारी, पुनहाड़ा, जहानाबाद और तृप्ति कुमारी, परथु, नालंदा) के हाथ में है।  

इतना ही नहीं राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस -2025 के अवसर पर मधुबनी जिले के झंझारपुर प्रखंड के उत्तर लोहना ग्राम पंचायत में आयोजित कार्यक्रम में समस्तीपुर जिले के रोसड़ा प्रखंड की मोतीपुर ग्राम पंचायत को विशेष पंचायत पुरस्कार श्रेणी में "क्लाइमेट एक्शन विशेष पंचायत पुरस्कार-2025" में तृतीय स्थान प्राप्त करने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सम्मानित किया। इस ग्राम पंचायत का नेतृत्व प्रेमा देवी के हाथ में है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व और पंचायती राज विभाग की प्रतिबद्धता के कारण आज राज्य की महिलाएं ग्रामीण विकास की ध्वजवाहक बनकर उभरी हैं।

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