Edited By Ramanjot, Updated: 01 Dec, 2023 09:52 AM
इस घटनाक्रम को दो दिन पहले पार्टी को फजीहत का सामना करने के संदर्भ में देखा जा रहा है जब पांच सांसदों में से एक पारस के भतीजे चिराग पासवान द्वारा आयोजित एक समारोह में शामिल हुए थे। चिराग को पारस का कट्टर प्रतिद्वंद्वी माना जाता है। पूर्व केंद्रीय...
पटना: केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने तीन साल से भी कम पुरानी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) में दरार दिखने के दो दिन बाद गुरुवार को पार्टी के संसदीय बोर्ड को भंग कर दिया। पारस द्वारा जारी इस आशय का एक पत्र आरएलजेपी के प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल द्वारा साझा किया गया है, जिन्होंने कहा कि यह निर्णय ‘‘लोकसभा चुनाव के मद्देनजर'' लिया गया है और ‘‘जल्द ही एक नया संसदीय बोर्ड गठित किया जाएगा।''
इस घटनाक्रम को दो दिन पहले पार्टी को फजीहत का सामना करने के संदर्भ में देखा जा रहा है जब पांच सांसदों में से एक पारस के भतीजे चिराग पासवान द्वारा आयोजित एक समारोह में शामिल हुए थे। चिराग को पारस का कट्टर प्रतिद्वंद्वी माना जाता है। पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत रामविलास पासवान द्वारा स्थापित लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के स्थापना दिवस का जश्न मनाने के लिए चिराग और पारस दोनों ने मंगलवार को क्रमशः पटना और हाजीपुर में अलग-अलग समारोह आयोजित किए थे। लोजपा संस्थापक रामविलास पासवान के छोटे भाई पारस द्वारा 2021 में पार्टी को विभाजित किए जाने तक चिराग पासवान पार्टी का नेतृत्व कर रहे थे। लोजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में छह सीटें जीती थीं। चिराग ने अपनी सीट जमुई को बरकरार रखा था, जबकि पारस ने दिवंगत पासवान के पुराने संसदीय क्षेत्र हाजीपुर से संसद तक पहुंचे। चाचा-भतीजे के बीच विवाद चुनाव आयोग तक पहुंच गया, जिसने लोजपा का चुनाव चिह्न जब्त कर प्रतिद्वंद्वी गुटों को अलग-अलग पार्टियों के रूप में मान्यता दे दी थी। इसके बाद चिराग अलग-थलग पड़ गए क्योंकि उनके चाचा केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह पाने के अलावा अन्य सभी लोजपा सांसदों का समर्थन प्राप्त करने में सफल रहे थे।
हाजीपुर सीट बना विवाद का विषय
चिराग पासवान के नेतृत्व वाले दल को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नाम से जाना जाता है। हालांकि, 41 साल के चिराग को तब बल मिला जब वैशाली की सांसद वीणा देवी इस सप्ताह की शुरुआत में उनके समारोह में पहुंचीं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि उनका इरादा कभी भी चिराग को छोड़ने का नहीं था और शुरुआत में वह प्रतिद्वंद्वी खेमे में चली गईं क्योंकि वह अपने चाचा के साथ उनके झगड़े को समझ नहीं पाई थीं। पारस के एक प्रमुख सहयोगी, बाहुबली से राजनेता बने सूरजभान सिंह से जब पत्रकारों ने उनके एक सांसद के चिराग के कार्यक्रम के शामिल होने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘कौन जानता है, कल चाचा और भतीजा दोनों एक साथ आ जाएं। हम सभी मुख्य रूप से लोजपा कार्यकर्ता हैं।'' पारस और चिराग दोनों भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग)का हिस्सा हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति अपनी निष्ठा जताते हैं। दोनों स्वीकार करते हैं कि बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन से कड़ी चुनौती का सामना कर रही भाजपा ने उन्हें अपने मतभेदों को भुलाकर एक साथ आने के लिए कहा है। हालांकि, हाजीपुर सीट पारस और चिराग के बीच लगातार विवाद का विषय बना हुआ है। पारस इस सीट को छोड़ने को तैयार नहीं हैं जबकि चिराग का दावा है कि दिवंगत पिता रामविलास पासवान की इस परंपरागत सीट के वे ही वैध दावेदार हैं और वह इस सीट से अपनी मां को चुनाव लड़वाना चाहते हैं।