स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा- बिहार के 11 जिलों में स्थापित पीकू को किया जा रहा और सुद्दढ़

Edited By Ramanjot, Updated: 21 Apr, 2022 10:53 AM

piku established in 11 districts of bihar is being done and strengthened

मंगल पांडेय ने बुधवार को बताया कि इलाज के लिए विशेषज्ञों से सलाह के लिए टेली मेडिसीन की सुविधा इन संस्थानों में प्रदान की जाएगी। उन्होंने बताया कि पीकू में एईएस एवं जेई के साथ-साथ एक माह से 12 साल के अतिगंभीर पीड़ित बच्चों का भी उपचार किया जाएगा।...

पटनाः बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि अतिगंभीर, एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) एवं जापान इंसेफेलाइटिस (जेई) से पीड़ित बच्चों के त्वरित एवं उचित इलाज के लिए राज्य के 11 जिलों में स्थापित शिशु गहन देखभाल ईकाई (पीकू) को और भी सुद्दढ़ किया जा रहा है।

मंगल पांडेय ने बुधवार को बताया कि इलाज के लिए विशेषज्ञों से सलाह के लिए टेली मेडिसीन की सुविधा इन संस्थानों में प्रदान की जाएगी। उन्होंने बताया कि पीकू में एईएस एवं जेई के साथ-साथ एक माह से 12 साल के अतिगंभीर पीड़ित बच्चों का भी उपचार किया जाएगा। मंत्री ने कहा कि उक्त क्रम में जिला अस्पताल स्तर पर स्थापित पीकू में कार्यरत शिशु रोग विशेषज्ञ, चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ एवं लैब टेक्निशियन को 16 अप्रैल से प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जो 25 अप्रैल तक अलग-अलग अस्पतालों में चलेगा। प्रशिक्षण के बाद टेली आईसीयू काउंसलिंग की सुविधा को सफलतापूर्वक चलाया जा सकेगा। शिक्षण के लिए छह जिलों के जिला अस्पताल को चिह्नित किया गया है। इनमें तीने जिले क्रमश: जिला अस्पताल गोपालगंज में 16, समस्तीपुर में 18 और वैशाली में 19 अप्रैल को प्रशिक्षण संपन्न हो चुका है। 21 अप्रैल को पूर्वी चंपारण, 22 अप्रैल को सीतामढ़ी और 25 अप्रैल को जिला अस्पताल मुजफ्फरपुर में प्रशिक्षण चलेगा।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह सुविधा शुरू हो जाने से न सिर्फ एईएस पीड़ित बच्चों का इलाज संभव होगा बल्कि कई अन्य रोगों के कारण बच्चों में होने वाली मौतों को भी कम किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि पीकू वार्ड में टेली आइसीयू काउंसलिंग की सुविधा उपलब्ध होने से बेहतर चिकित्सा के लिए बच्चों को कहीं बाहर रेफर नहीं करना पड़ेगा। मंत्री ने कहा कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), पटना से उक्त जिलों को शिशु टेली आईसीयू कंसलटेशन सेवा से जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि अनुभवी एवं विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा टेली काउंसलिंग का प्रशिक्षण मिलने से ऐसे पीड़ित बच्चों को बेहतर चिकित्सा मिल पाएगी, जिससे अतिगंभीर परिस्थिति वाले बच्चों का उपचार जिले में संभव हो पाएगा।

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