Edited By Harman, Updated: 19 Mar, 2025 08:44 AM

बिहार विधानसभा के इस साल के अंत में होने वाले चुनाव से पहले कांग्रेस ने मंगलवार को राज्य में संगठनात्मक स्तर पर एक अहम परिवर्तन करते हुए दलित नेता राजेश कुमार को अपनी राज्य इकाई का नया अध्यक्ष नियुक्त किया। औरंगाबाद जिले के कुटुम्बा से दूसरी बार...
Bihar Politics: बिहार विधानसभा के इस साल के अंत में होने वाले चुनाव से पहले कांग्रेस ने मंगलवार को राज्य में संगठनात्मक स्तर पर एक अहम परिवर्तन करते हुए दलित नेता राजेश कुमार को अपनी राज्य इकाई का नया अध्यक्ष नियुक्त किया। औरंगाबाद जिले के कुटुम्बा से दूसरी बार विधायक बने कुमार, राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश प्रसाद सिंह की जगह लेंगे। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, "कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राजेश कुमार को तत्काल प्रभाव से बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया है।"
बिहार में वरिष्ठ सहयोगी राजद के करीबी माने जाने वाले अखिलेश प्रसाद सिंह के स्थान पर राजेश कुमार को नियुक्त करना कांग्रेस की ओर से रणनीतिक बदलाव को दर्शाता है। कांग्रेस राहुल गांधी के "संविधान बचाओ" और राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना की मांग के दोहरे नारे के जरिये वंचित जातियों के बीच आक्रामक तरीके से पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। अखिलेश प्रसाद सिंह के राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद के अच्छे रिश्ते हैं। वह कभी राजद का हिस्सा हुआ करते थे। वह 2022 में बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने थे।
बता दें कि राजेश कुमार औरंगाबाद जिले की कुटुम्बा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। वह 2015 और 2020 में विधायक निर्वाचित हुए। कांग्रेस की रणनीति में बदलाव पिछले महीने युवा, आक्रामक टेक्नोक्रेट कृष्णा अल्लावरु को बिहार के लिए एआईसीसी का नया प्रभारी नियुक्त किए जाने से भी महसूस किया गया। कांग्रेस के अनुभवी नेता मोहन प्रकाश की जगह लेने वाले अल्लावरु ने हाल ही में पटना के दौरे पर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए थे, जब उन्होंने कांग्रेस को राजद की "बी टीम" बताने वाले सुझावों को खारिज करते हुए कहा था, “हम लोगों की ए टीम हैं”। कभी बिहार में कांग्रेस को खत्म हो चुकी ताकत मानने वाले केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान जैसे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के नेता भी पार्टी के रुख में बदलाव को देख रहे हैं और भविष्यवाणी कर रहे हैं कि अगर राजद ने अपने लिए बहुत कुछ निकालने की कोशिश की तो राष्ट्रीय पार्टी राज्य में अकेले ही आगे बढ़ना पसंद कर सकती है। बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव संभावित है।