जनसंख्या समाधान फाउंडेशन की ओर से बढ़ती जनसंख्या के दुष्प्रभाव व दुष्परिणाम पर विचार गोष्ठी का आयोजन

Edited By Nitika, Updated: 16 Jan, 2023 03:03 PM

seminar organized on ill effects of increasing population

बिहार की राजधानी पटना में जनसंख्या समाधान फाउंडेशन द्वारा जनसहायक जनसंख्या असंतुलन को लेकर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें राष्ट्रवादी विचारधारा के डॉक्टर अनिल चौधरी और डॉक्टर एमपी प्रदर्शनी ने अपने विचार रखे इस दौरान वक्ताओं ने साफ-साफ...

पटना: बिहार की राजधानी पटना में जनसंख्या समाधान फाउंडेशन द्वारा जनसहायक जनसंख्या असंतुलन को लेकर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें राष्ट्रवादी विचारधारा के डॉक्टर अनिल चौधरी और डॉक्टर एमपी प्रदर्शनी ने अपने विचार रखे इस दौरान वक्ताओं ने साफ-साफ कहा कि देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून जरूरी है क्योंकि जिस अनुपात में जनसंख्या बढ़ रहा है। उतना ही लोगों को सुविधा कम हो रही है इसीलिए केंद्र सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लगाए, जिससे लोगों को काफी राहत मिलेगी।

गोष्ठी को संबोधित करते हुए जनसंख्या समाधान फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर अनिल चौधरी ने कहा कि धरती के विनष्ट होने के लिए गिनाए गए कारणों में सामान्य रूप से जो कारक सबसे ज्यादा प्रत्यक्ष है, उनमें जनसंख्या का बढ़ना सबसे ज्यादा तीव्र और सर्वोपरि है। इसकी विकरालता को अभी तक ठीक से आंका नहीं गया है। विश्व विनाश का यह प्रमुख रंगमंच है। महात्मा गांधी जी ने सबसे पहले इंगित किया था कि बिल्कुल लालच न करना और संतति- बिग्रह करना भारत के चिन्तन का प्रस्थान बिन्दु है। धरती पर सभी तरह के जीवों में मनुष्य के लिए लालच और उपयोग की विलासिता मूल कारण है कि यह धरती का विनाश करके ही रहेंगी?

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आज सबके लिए सबसे पहले यही प्रमुख चिन्ता होनी चाहिए। चिंता ही नही अपितु कर्म चिन्तन होना चाहिए। मेरा फोकस इसी बिन्दु पर केन्द्रित है, भारतीय जीवन दृष्टि में प्रकृति का मर्यादित दोहन करना सिखाया गया है, शोषण नहीं। संयमी व्यक्तियों के लिए प्राकृतिक संपदा हमेशा परिपूर्ण रहेगी तथा आनेवाले पीढ़ियों के लिए भी उपलब्ध रहेगी। प्रकृति के पास इसके लिए पर्याप्त संसाधन हैं, यदि जनसंख्या संयमित रहे? अधिकारों के ऊपर बिता दी गई पूर्ति अपरिहार्य है। इसके लिए बढ़ते हुए खर्चों की समस्या केवल अविकसित देशों की ही नहीं हैं, अपितु विकसित देशों की भी है। विकसित देशों के ग्रोथ की भी सीमा समक्षते है। बढ़ती जनसंख्या के लिए सम्पोषित भोजन सबसे बड़ी आफत है। ऊंचे मानकों, उद्योगों, उत्पादनों की खपत शिक्षा राजस्तर से की समस्याएं पैदा होगी। ग्रोथ कभी रुकेगी नहीं विलासिता का जीवन कहां से आएगी जमीन सभी चाहते हैं। फिर इनके लिए जगह कहां मिलेगी।

पर्यावरण असंतुलन से बर्फ पिघल रही है, समुद्रतल बढ़ रहा है। सबसे बड़ी चिन्ता इसी पर ध्यान देने की है। साथ ही उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने पर जोर दिया और कहा कि हवा, पानी और जमीन सीमित है तो उनका उपभोग करने वालों की भी संख्या सीमित होनी चाहिए, अन्यथा कभी विभिषिका का कारक न हो जाए इस लिए इस देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू होना चाहिए जो कि सभी वर्ग पर समानता से लागू हो।

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