राष्ट्र नवनिर्माण के सभी पक्षों पर राष्ट्रपिता के विचार विचारणीय और समीचीन हैं: प्रो. आनन्द

Edited By Nitika, Updated: 29 Nov, 2023 02:19 PM

statement of professor anand

प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और प्रख्यात समाजशास्त्री आनन्द कुमार ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के राष्ट्र निर्माण की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश में जाति, भाषा और धर्म की विविधता के...

 

दरभंगाः प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और प्रख्यात समाजशास्त्री आनन्द कुमार ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के राष्ट्र निर्माण की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश में जाति, भाषा और धर्म की विविधता के बावजूद भारत का नवनिर्माण बखूबी हुआ है।

प्रो. कुमार ने महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह कल्याणी फाउंडेशन के तत्वावधान में महाराजा कामेश्वर सिंह जी के जन्मदिवस के अवसर पर आयोजित कामेश्वर सिंह स्मृति व्याख्यान माला को संबोधित करते हुए 'स्वराज-रचना और राष्ट्रनिर्माण का गांधी मार्ग' विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि राष्ट्रपिता के लिए सिद्धांतहीन राजनीति सबसे बड़ा पाप है। भारतीय राष्ट्र के नवनिर्माण के सभी पक्षों पर गांधीजी के विचार काफी विचारणीय और समीचीन हैं। गांधीजी ने स्वतंत्रता प्राप्ति को एक सीमित राजनीतिक सफलता बताया और सचेत किया कि स्वराज के आर्थिक, सामाजिक और नैतिक पक्ष को पूरा करने का कठिन काम बाकी है। इसके बिना ‘पूर्ण स्वराज' का संकल्प साकार नहीं होगा।

वहीं आनन्द कुमार ने कहा कि देश के नवनिर्माण के लिए आर्थिक समानता, साम्प्रदायिक एकता, ग्राम-स्वराज, दरिद्रता और बेरोजगारी निर्मूलन, स्त्री पुनरुत्थान, स्वच्छता-स्वास्थ्य-शिक्षा सुधार, भाषा स्वराज, विकेन्द्रीकरण एवं देश-दुनिया में शांति के लिए प्रभावशाली कदम उठाना भारत की नई जिम्मेदारी है। इसलिए स्वतंत्रता के इस अमृत वर्ष के अवसर पर इन नौ सूत्रीय जिम्मेदारी के बारे में आत्म मूल्यांकन आवश्यक है।

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!