बिहार की युवा आबादी को जल, स्वच्छता व हाइजिन से जुड़ा प्रशिक्षित देकर देश में प्रस्तुत हो सकता है आदर्श मॉडल : मार्गरेट ग्वाडा

Edited By Ramanjot, Updated: 03 Sep, 2025 08:06 PM

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श्रम संसाधन विभाग के सचिव दीपक आनंद ने कहा कि बिहार सरकार ने सात निश्चय, जल-जीवन-हरियाली, हर घर नल का जल और स्वच्छ भारत मिशन जैसे अभियानों से जल व स्वच्छता के क्षेत्र में कई ठोस उपलब्धियां हासिल की हैं।

पटना:श्रम संसाधन विभाग के सचिव दीपक आनंद ने कहा कि बिहार सरकार ने सात निश्चय, जल-जीवन-हरियाली, हर घर नल का जल और स्वच्छ भारत मिशन जैसे अभियानों से जल व स्वच्छता के क्षेत्र में कई ठोस उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने कहा कि “पानी और सफाई की स्थिति में सुधार से न केवल स्वास्थ्य बेहतर होता है, बल्कि आर्थिक संभावनाएं और महिलाओं की सुरक्षा-सम्मान भी सुनिश्चित होता है।”

“स्वच्छ जीवन, सुरक्षित भविष्य” विषय पर बिहार कौशल विकास मिशन (बीएसडीएम) और यूनिसेफ़ के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को होटल चाणक्य में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर श्रम संसाधन विभाग के सचिव–सह–बीएसडीएम के सीईओ दीपक आनन्द, विशेष सचिव आलोक कुमार, श्रमायुक्त–सह– बीएसडीएम के एसीईओ राजेश भारती, यूनिसेफ़ बिहार की मुख्य क्षेत्रीय अधिकारी मारग्रेट ग्वाडा और सीआईएमपी के निदेशक डॉ. राणा सिंह ने किया। 

वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिला पंचायत के सीईओ अग्रिम कुमार भी जुड़े और उन्होंने “वाश ऑन व्हील” अभियान की विस्तृत जानकारी और कार्य योजना साझा की। दीपक आनंद ने आगे कहा कि जल और स्वच्छता क्षेत्र में व्यावसायिक कौशल विकास रोजगार के नए अवसरों के साथ हरित रोजगार की दिशा में भी बड़ी संभावनाओं का द्वार खोल रहा है। बीडीडीएम इस क्षेत्र में युवाओं, विशेषकर ग्रामीण महिलाओं और लड़कियों को प्रशिक्षण देने के लिए विशेष कार्यक्रम चला रहा है।

यूनिसेफ़ की मुख्य अधिकारी मार्गरेट ग्वाडा ने कहा कि बिहार की सबसे बड़ी ताकत इसकी युवा आबादी है। यदि युवाओं को जल, स्वच्छता और हाइजिन से जुड़े कौशल में प्रशिक्षित किया जाए तो बिहार देशभर में एक आदर्श मॉडल प्रस्तुत कर सकता है। श्रम संसाधन विभाग के विशेष सचिव आलोक कुमार ने भी कार्यशाला को संबोधित किया और जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य क्षेत्र में कौशल विकास की स्थापित मांग और आवश्यकता पर अपनी बात रखी। इसके उपरांत श्रमायुक्त–सह– बीडीडीएम के एसीईओ राजेश भारती के द्वारा अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया गया। 

 कार्यशाला में पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग विभाग (पीएचईडी), ग्रामीण विकास विभाग, समाज कल्याण विभाग, लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान, जीविका और अन्य साझेदार संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। मौके पर पैनल डिक्शन भी आयोजित किया गया, जिसमें वक्ताओं ने कहा कि प्रशिक्षित पेशेवरों का एक मज़बूत कैडर तैयार करना जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य प्रणालियों की स्थिरता के लिए अनिवार्य है। केवल तकनीकी दक्षता जैसे राजमिस्त्री, प्लंबिंग, विद्युत कार्य और सफाई सेवाएं ही नहीं, बल्कि प्रबंधकीय कौशल भी उतने ही अहम हैं, ताकि अवसंरचना का सही निर्माण, रखरखाव और वित्तीय प्रबंधन सुनिश्चित हो सके। 

साथ ही, कौशल विकास को रोजगार के अवसर से जोड़ना उतना ही आवश्यक है। प्रशिक्षित युवाओं को कार्यबल में शामिल कर सतत आजीविका सुनिश्चित करनी होगी। इसमें उद्योग विभाग, बिहार कौशल विकास मिशन और निजी क्षेत्र की अहम भूमिका है, ताकि प्रशिक्षण केवल सीखने तक सीमित न रहे, बल्कि युवाओं को रोज़गार और दीर्घकालिक आर्थिक सशक्तिकरण का मार्ग भी दे सके। यह पहल तभी सफल होगी, जब नीति-निर्माण से लेकर कार्यान्वयन तक समाज के सभी वर्गों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित हो। पैनल डिस्कशन में शामिल विशेषज्ञों का आभार बिहार कौशल विकास मिशन के मिशन निदेशक मनीष शंकर द्वारा किया गया।
 

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