Edited By Nitika, Updated: 07 Jun, 2024 09:08 AM
झारखंड में भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा की 14 सीटों में से 8 सीटों पर चुनाव जीतने में सफल रही लेकिन उसने एक भी अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित सीट से अपनी जीत दर्ज नहीं कर पाई।
रांचीः झारखंड में भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा की 14 सीटों में से 8 सीटों पर चुनाव जीतने में सफल रही लेकिन उसने एक भी अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित सीट से अपनी जीत दर्ज नहीं कर पाई।
दरअसल 2019 के विधानसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी 28 आदिवासी के लिए सुरक्षित सीटों में से केवल दो विधानसभा सीट ही जीत पाई थी और इस कारण राज्य में रघुवर सरकार सत्ता से बाहर हो गई थी। इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा की सहयोगी आजसू को भी एक सीट पर सफलता मिली है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित सीटों पर अपनी मजबूत पकड़ बनाने के लिए बाबूलाल मरांडी को पार्टी में शामिल कर उन्हें दल का कमान सौंपा। मरांडी ने सांसद गीता कोड़ा और विधायक सीता सोरेन को पार्टी में शामिल करवाया और इन्हें क्रमश: सिंहभूम और दुमका सुरक्षित क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव लड़ाया लेकिन फिर भी पार्टी को सफलता नहीं मिली।
राज्य में आदिवासियों के लिए सुरक्षित 5 सीटों में से तीन सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा और दो पर कांग्रेस पार्टी ने अपना कब्जा जमाया। हालांकि झारखंड में 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान एनडीए को 50 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली है। इन 50 सीटों में भाजपा को 47 और आजसू को 3 विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल हुई। पिछली बार एनडीए की 56 सीटों पर बढ़त मिली थी। इस बार इंडिया गठबंधन ने 29 सीटों पर बढ़त बनाई है। इनमें कांग्रेस को 15 और झामुमो को 14 विधानसभा क्षेत्र में बढ़त मिली है जबकि दो सीटें डुमरी व गोमिया में जयराम महतो ने बढ़त बनाकर राज्य के राजनीतिक पंडितों को चौंकाया है।
वर्तमान में डुमरी विधानसभा सीट झामुमो व गोमिया विधानसभा सीट आजसू के खाते में है। भाजपा वर्तमान में विधानसभा की दो आरक्षित सीटें खूंटी और तोरपा पर काबिज है लेकिन इन दोनों सीटों पर इस बार लोकसभा चुनाव में वह पिछड़ गई।