इंटरनेट की दुनिया भी हिन्दी की कायल: एल खियांग्ते

Edited By Khushi, Updated: 15 Sep, 2023 02:16 PM

internet world is also a fan of hindi l khiangte

हिन्दी एक सर्वव्यापी भाषा है। दुनिया भर में हिन्दी भाषा बोलने वाले लोग मौजूद हैं। इसकी लोकप्रियता के कारण ही इंटरनेट की दुनिया में भी हिन्दी भाषा के कंटेंट बहुतायत में मौजूद है।

रांची: हिन्दी एक सर्वव्यापी भाषा है। दुनिया भर में हिन्दी भाषा बोलने वाले लोग मौजूद हैं। इसकी लोकप्रियता के कारण ही इंटरनेट की दुनिया में भी हिन्दी भाषा के कंटेंट बहुतायत में मौजूद है। न्यूज चैनल बीबीसी आदि में भी हिन्दी भाषा में खबरों का प्रसारण किया जाता है। श्रीकृष्ण लोक प्रशासन संस्थान के महानिदेशक एल खियांग्ते ने गुरुवार को यहां कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग द्वारा श्रीकृष्ण लोक प्रशासन संस्थान में आयोजित हिन्दी दिवस समारोह में यह बातें कहीं।

खियांग्ते ने पढ़ाई से लेकर प्रशासनिक सेवा में आने तक हिन्दी भाषा को लेकर अपने अनुभव को साझा किया। उन्होंने कहा कि हिन्दी की आवश्यकता सभी जगह है। इससे बचा नहीं जा सकता। दक्षिण से लेकर उत्तर, पूरब से पश्चिम तक हिन्दी की आवश्यकता महसूस की जा रही है। उन्होंने कहा कि मिज़ोरम जहां से वे आते हैं, वहां भी अब हिन्दी सीखने के लिए स्पोकेन हिन्दी की क्लास चल रही है। उन्होंने लोगों से अपील की कि घर पर संवाद की भाषा हिन्दी ही रखें। इस अवसर पर कार्मिक सचिव प्रवीण टोप्पो ने कहा कि सरकार का यह प्रयास है कि सभी सरकारी विभागों में हिन्दी भाषा में कार्य हो। उन्होंने कहा कि हिन्दी सहज भाषा है। हम जैसा हिन्दी में बोलते हैं, वैसा ही लिखते भी हैं। यह हिन्दी की अपनी विशेषता है। उन्होंने कहा कि हिन्दी सर्व संपर्क की भाषा है। दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों में अब हिंदी भाषा बोली और समझी भी जा रही है। विदेशों में हिन्दी स्वीकार की जा रही है। यही कारण हैं की दुनिया में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिन्दी है। विनोबा भावे विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मिथिलेश कुमार सिंह ने कहा कि हिन्दी संपर्क की भाषा है, बाज़ार की भाषा है। उन्होंने हिन्दी भाषा को लेकर विस्तार से उसके विकास के बारे में प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि यह भी हमें देखना होगा कि क्या हम हिन्दी भाषा को अपने व्यवहार, अपनी बोलचाल में ला रहे हैं। उन्होंने हिन्दी भाषा से जुड़ाव की अपील की। उन्होंने कहा कि जब तक ज्ञान का सृजन अपनी भाषा में नहीं होगा तब तक भाषा की पहचान नहीं बन पाएगी। इस अवसर पर कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग द्वारा निबंध प्रतियोगिता एवं लघुकथा प्रतियोगिता के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय विजेताओं को सम्मानित किया गया। मौके पर श्रीकृष्ण लोक प्रशासन संस्थान के निदेशक श्रीनिवासन एवं रांची विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ प्रज्ञा गुप्ता ने भी अपने विचार रखे। समारोह में कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग सहित विभिन्न विभागों के पदाधिकारीगण एवं अन्य लोग उपस्थित थे। 

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