Edited By Khushi, Updated: 14 May, 2023 12:22 PM

मां, हर एक के जीवन में महत्वपूर्ण व सर्वश्रेष्ठ होती है क्योंकि इस दुनिया में किसी भी चीज को मां की ममता से नहीं तोला जा सकता। मां खुद पर सारी परेशानियां झेल लेती है, लेकिन अपने बच्चे पर कोई परेशानी नहीं आने देती।
धनबाद: मां, हर एक के जीवन में महत्वपूर्ण व सर्वश्रेष्ठ होती है क्योंकि इस दुनिया में किसी भी चीज को मां की ममता से नहीं तोला जा सकता। मां खुद पर सारी परेशानियां झेल लेती है, लेकिन अपने बच्चे पर कोई परेशानी नहीं आने देती। ऐसा ही मामला झारखंड के धनबाद जिले से आया है जहां अपने 4 महीने के बच्चे को मां ने अपना 25 प्रतिशत लीवर हंसते-हंसते दान कर दिया।
मां ने लीवर ट्रांसप्लांट कर बचाई अपने बच्चे की जान
दरअसल, जिले के मनईटांड़ निवासी रानी नामक महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन जब आरव 4 महीने को हुआ तो उसकी तबीयत खराब हो गई। इलाज के दौरान पता चला कि आरव का लीवर ठीक से काम नहीं कर रहा। डॉक्टरों ने बच्चे की जान बचाने के लिए लीवर ट्रांसप्लांट का सुझाव दिया और लीवर देने के लिए आरव की मां सामने आई। 22 सिंतबर 2021 को ग्लोबल अस्पताल चेन्नई में मां का 25 प्रतिशत लीवर आरव को ट्रांसप्लांट किया गया, जिससे बच्चे की जिंदगी बच गई, लेकिन मां 75 प्रतिशत लीवर पर जिंदगी गुजार रही है। इतना ही नहीं डॉक्टरों ने कई तरह की चीजों पर मनाही कर रखी है। मां रानी का लीवर आज पहले की तरह काम नहीं करता। उन्हें खूब खट्टा-मीठा खाने का शौक था, लेकिन वह आज सब कुछ नहीं खा सकती। भारी वजन तो बहुत दूर की बात वह मामूली वजन भी नहीं उठा सकती। कभी न बीमार रहने वाली रानी अब शारीरिक परेशानियों का सामना कर रही है, लेकिन फिर भी वह खुश है क्योंकि उसका आंखों का तारा, उसका बच्चा जिंदा है।
"डॉक्टर उनकी जान भी मांगते ताे हंस कर दे देती"
वहीं, रानी का कहना है कि लीवर डोनेट करने के बाद उनकी जिंदगी बदल गई। कई तरह की शारीरिक परेशानियां आई, पर वे आज खुश हैं। उनका बेटा सकुशल है। लीवर क्या है, यदि बच्चे का जीवन बचाने के लिए डॉक्टर उनकी जान भी मांगते ताे हंस कर दे देती। रानी ने बताया कि ऑपरेशन के बाद डाॅक्टराें ने उन्हें और बेटे काे 2 वर्ष तक विशेष देखभाल और एहतियात की सलाह दी थी। जांच के लिए हर 3 माह के बाद चेन्नई जाते हैं। दाेनाें पूरी तरह से स्वस्थ हैं। इसी बीच वह धनबाद के लाेगाें का धन्यवाद करती है। उन्होंने बताया कि बेटे के लिए इलाज पर 25 लाख रुपए खर्च करने की हालत नहीं थी। धनबाद के लाेगाें ने 40 दिन में 20 लाख रुपए एकत्र करने में मदद की।