Edited By Nitika, Updated: 24 May, 2024 11:39 AM
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25 मई को झारखंड के गिरिडीह, धनबाद, रांची और जमशेदपुर लोकसभा सीट पर चुनाव होना है। गिरिडीह लोकसभा सीट पर मुख्य रूप से मुकाबला एनडीए कैंडिडेट चंद्रप्रकाश चौधरी और झामुमो के कैंडिडेट मथुरा महतो के बीच है।
रांचीः 25 मई को झारखंड के गिरिडीह, धनबाद, रांची और जमशेदपुर लोकसभा सीट पर चुनाव होना है। गिरिडीह लोकसभा सीट पर मुख्य रूप से मुकाबला एनडीए कैंडिडेट चंद्रप्रकाश चौधरी और झामुमो के कैंडिडेट मथुरा महतो के बीच है।
निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर जेबीकेएसएस के नेता जयराम महतो इस संघर्ष को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं। गिरिडीह के चुनावी रण में 3 दिग्गज कुर्मी नेता आपस में भिड़ रहे हैं। गिरिडीह झारखंड की इकलौती ऐसी सीट है, जहां किसी राष्ट्रीय पार्टी का उम्मीदवार चुनाव मैदान में नहीं है बल्कि यहां दो क्षेत्रीय दल जेएमएम और आजसू के बीच लड़ाई है, हालांकि आजसू को बीजेपी ने समर्थन दिया है। गिरिडीह लोकसभा सीट पर अब तक कुर्मी वोटर ही जीत-हार तय करते रहे हैं। इस बार 3 कुर्मी नेताओं के मैदान में उतरने से किसी एक उम्मीदवार को अपनी जाति का एकमुश्त वोट मिल पाना मुश्किल लग रहा है। वैसे गिरिडीह में महतो और मुस्लिम के बाद ब्राह्मण और भूमिहार जाति की संख्या भी कम नहीं है। ऐसे में ब्राह्मण और भूमिहार वोटर बड़ा फैक्टर साबित हो सकते हैं। इसके अलावा गिरिडीह में सबसे ज्यादा 19 फीसदी कुर्मी वोटर हैं। वहीं 17 फीसदी मुस्लिम, 15 फीसदी आदिवासी और 11 फीसदी एससी वोटर हैं। गिरिडीह लोकसभा सीट के मौजूदा आजसू उम्मीदवार को मोदी मैजिक से उम्मीद है। वहीं झामुमो कैंडिडेट मथुरा महतो को कुर्मी वोटर के साथ-साथ 3 लाख मुस्लिम और 1 लाख आदिवासी वोटर से समर्थन मिलने की आस है।
वहीं धनबाद लोकसभा सीट पर भी 25 मई को ही चुनाव होना है। धनबाद में मुख्य मुकाबला बीजेपी कैंडिडेट ढुल्लू महतो और कांग्रेस कैंडिडेट अनुपमा सिंह के बीच मुकाबला है। आबादी की दृष्टि से झारखंड की सबसे बड़ी सीट धनबाद में इस बार लड़ाई दिलचस्प है। बीते लंबे समय से यह सीट भाजपा का गढ़ रही है लेकिन इस बार भाजपा भितरघात से परेशान हैं। धनबाद के बीजेपी विधायक राज सिन्हा के वायरल बयान से पार्टी के अंदरखाने व्याप्त नाराजगी भी खुलकर सामने आ गई, हालांकि इस बयान को लेकर बीजेपी ने राज सिन्हा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। अपनों के निशाने पर आए ढुल्लू महतो के सियासी दुश्मन भी उन पर वार पर वार किए जा रहे हैं। वहीं जमशेदपुर के निर्दलीय विधायक सरयू राय ने तो उनके खिलाफ लोकसभा चुनाव तक लड़ने का ऐलान कर दिया था पर कांग्रेस के समर्थन मांगने पर वे पीछे हट गए। बीजेपी से नाराज धनबाद के राजपूत और वैश्य मतदाताओं का भी कांग्रेस को साथ मिलता दिख रहा है।
एसटी, एससी, मुस्लिम और सवर्ण वोटर के दबदबे वाले धनबाद लोकसभा में तीन लाख से ज्यादा आदिवासी वोटर हैं। मुस्लिम समुदाय की आबादी भी कम नहीं है जबकि एससी और सवर्ण मतदाताओं की तादाद दो-दो लाख के करीब है। वहीं रांची लोकसभा सीट पर भी 25 मई को ही चुनाव होना है। यहां बीजेपी कैंडिडेट संजय सेठ और कांग्रेस उम्मीदवार यशस्विनी सहाय में मुख्य मुकाबला है। संजय सेठ अपने काम के आधार पर वोट मांग रहे हैं तो यशस्विनी सहाय एचईसी के कर्मचारियों के सैलेरी नहीं मिलने का मुद्दा उठा रही हैं। वहीं जेबीकेएसएस के उम्मीदवार देवेंद्र नाथ महतो ग्रामीण इलाकों में अपने मतदाताओं को गोलबंद करने में लगे हैं। रांची लोकसभा सीट पर आदिवासी-अल्पसंख्यक मतदाताओं की गोलबंदी कांग्रेस को चुनावी मुकाबले में लाने की ओर इशारा करती है।
वहीं, बीजेपी को पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मिलने का भरोसा है। कांग्रेस के नेता प्रियंका गांधी की सभा में जुटी भीड़ से गदगद नजर आ रहे हैं। अगर देवेंद्र नाथ महतो ने कुड़मी मतदाताओं को अपनी ओर समेटा तो चुनावी अखाड़े में ट्विस्ट नजर आएगा। रांची संसदीय क्षेत्र में करीब 14 फीसदी अनुसूचित जनजाति के वोटर हैं तो 12 फीसदी अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाता हैं। इसके अलावा रांची क्षेत्र में अन्य महत्वपूर्ण समुदायों में यादव, कुर्मी, भूमिहार, ब्राह्मण और मुस्लिम शामिल हैं। वहीं जमशेदपुर लोकसभा सीट पर 25 मई को चुनाव होना है। जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र पूर्वी सिंहभूम जिला के अंतर्गत आता है। जमशेदपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी कैंडिडेट विद्युत वरन महतो और झामुमो के समीर मोहंती के बीच मुकाबला है।
विद्युत वरन महतो के बारे में ये कहा जाता है कि उनके साथ ग्रामीण और शहरी मतदाताओं का समर्थन रहा हैइस बार जेएमएम के समीर मोहंती पार्टी के परंपरागत वोट के साथ-साथ शहरी वोटर को साधने में लगे हैं। खास कर जमशेदपुर में बंगाली समाज और सिख समाज पर मोहंती सबसे ज्यादा डोरे डाल रहे हैं। इसके साथ ही आदिवासी मतदाताओं के बीच हेमंत सोरेन के जेल जाने से सहानुभूति लहर का फायदा मोहंती को मिल सकता है। अगर शहरी इलाके में बीजेपी के वोट बैंक में सेंधमारी हुई तो जेएमएम के लिए उम्मीद की किरण नजर आ सकती है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो बीजेपी को चुनावी अखाड़े में मात दे पाना आसान नहीं होगा।