सुदेश कुमार महतो ने हेमंत सरकार पर बोला हमला, कहा- सरकार की नीयत में शुरू से है खोट

Edited By Khushi, Updated: 01 May, 2023 12:32 PM

sudesh kumar mahato attacked hemant sarkar

आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो ने कहा कि मुख्यमंत्री और मंत्री का पद लर्निंग स्कूल नहीं हो सकता और जनभावना के अनुरूप नीतियां बनाने और फैसले लेने के लिए सरकार बनती है।

रांची: आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो ने कहा कि मुख्यमंत्री और मंत्री का पद लर्निंग स्कूल नहीं हो सकता और जनभावना के अनुरूप नीतियां बनाने और फैसले लेने के लिए सरकार बनती है। रांची में आयोजित सामाजिक न्याय मार्च के बाद हरमू मैदान में आयोजित सभा में आज महतो ने कहा कि आधे-अधूरे प्रयोग के लिए भी सरकार कतई नहीं बनती, जिनमें कोई नेतृत्व क्षमता और विजन नहीं था उन्हें सत्ता मिली। नतीजा हुआ कि 40 महीने में राज्य को सामाजिक और राजनीतिक तौर पर बड़ी क्षति हुई है। ओबीसी, एसटी और एससी खूब छले गए हैं।

"राज्य सरकार की नीयत में शुरू से है खोट"
सुदेश कुमार महतो ने इसके साथ ही सरकार की नाकामियों, दोषपूर्ण नीतियों और लूट-खसोट के रवैये पर तथ्यपूर्ण और सिलसिलेवार हमला बोला। आजसू प्रमुख ने कहा कि नीयत नेक हो तो नीतियां सही बनती हैं, लेकिन राज्य सरकार की नीयत में शुरू से खोट है। मुख्यमंत्री और उनके मंत्री सदन में कुछ बोलते हैं और बाहर कुछ जबकि कैबिनेट में फैसले कुछ और लिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय नीति, नियोजन नीति, ओबीसी आरक्षण, ट्रिपल टेस्ट विस्थापन नीति, आंदोलनकारियों के मान सम्मान तमाम अहम विषयों की सरकार ने अनदेखी की। जातीय जनगणना सामाजिक न्याय का आधार है, लेकिन जातीय जनगणना कराने के प्रति सरकार की कोई दिलचस्पी नहीं है जबकि हम और हमारी पार्टी जातीय जनगणना लगाकर कराने के लिए लगातार आवाज उठाती रही है।

"40 महीने की सरकार एक भी नीति स्पष्ट रूप से लागू नहीं कर सकी"
उन्होंने कहा कि 40 महीने की सरकार एक भी नीति स्पष्ट रूप से लागू नहीं कर सकी। ना नीति बनी और और न युवाओं को नौकरी मिली। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से पूछा जाना चाहिए कि जिन गुमान के साथ जोहार यात्रा पर निकले थे उसे बंद क्यों कर दिया गया और जोहार यात्रा का आधार क्या था? सच यह है कि 1932 का वादा करके 2023 लागू कर दिए और अब 60-40 का एक नया फार्मूला आया है, लेकिन मुख्यमंत्री इस फार्मूले पर कभी चर्चा नहीं करते। इधर युवा सड़कों पर आंदोलन करने को विवश हैं। बदले में उन्हें लाठियां खानी पड़ रही हैं। निजी संस्थानों में 75 प्रतिशत स्थानीय को काम देने का कैबिनेट फैसला लिया गया, लेकिन जब स्थानीय नीति ही तय नहीं हुई तो इसका लाभ किन्हें मिलेगा। झारखंड जिस दौर से गुजर रहा है उसमें साफ दिखता है और आज और कल दोनों को बर्बाद किया जा रहा है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Lucknow Super Giants

Royal Challengers Bengaluru

Teams will be announced at the toss

img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!