"संथाल परगना में जनजाति संस्कृति खतरे में", बाबूलाल मरांडी ने कहा- लगातार घट रही जनजातियों की आबादी

Edited By Ramanjot, Updated: 01 Jul, 2024 08:55 AM

tribal culture is in danger in santhal pargana babulal marandi

मरांडी ने कहा 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के 2वर्ष पूर्व ही संथाल परगना की धरती से अमर शहीद सिदो कान्हु के नेतृत्व में अंग्रेजो के अत्याचार के खिलाफ हजारों जनजाति भाई बहनों ने संघर्ष किया,बलिदान दिए,जो हुल के नाम से प्रसिद्ध है। उन्होंने कहा कि...

रांची: झारखंड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी रविवार को संथाल परगना के दौरे पर उपराजधानी दुमका पहुंचे। हुल दिवस के अवसर पर उन्होंने हुल क्रांति के महानायक वीर शहीद सिदो कान्हु की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। 

मरांडी ने कहा 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के 2 वर्ष पूर्व ही संथाल परगना की धरती से अमर शहीद सिदो कान्हु के नेतृत्व में अंग्रेजो के अत्याचार के खिलाफ हजारों जनजाति भाई बहनों ने संघर्ष किया, बलिदान दिए, जो हुल के नाम से प्रसिद्ध है। उन्होंने कहा कि हुल के कारण ही आदिवासियों के जल जंगल जमीन और संस्कृति की रक्षा केलिए एस पी टी ,सीएनटी जैसे कानून बने। उन्होंने कहा कि आज संथाल परगना की संस्कृति खतरे में है। 

"बद से बदतर होती जा रही साहेबगंज और पाकुड़ की स्थिति"
मरांडी ने आदिवासियों की तेज गति से घटती जनसंख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि 1951की जनगणना से लेकर 2011की जनगणना के बीच आबादी का विश्लेषण करें तो भयावह तथ्य उजागर होते हैं। उन्होंने कहा कि अगर इसी प्रकार जनजाति समाज की आबादी घटती रही तो आजादी के 100 साल और हुल आंदोलन के लगभग 200साल पूरा होते होते संथाल जनजाति समाज का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि संथाल परगना के साहेबगंज और पाकुड़ जिला की स्थिति तो बद से बदतर होती जा रही। मरांडी ने राज्य सरकार से मांग किया कि इसकी जमीनी स्तर पर गहराई से जांच होनी चाहिए। उन्होंने राज्य सरकार से इस संबध में एस आई टी गठित कर जांच कराने की मांग की। 

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