Edited By Ramanjot, Updated: 24 Oct, 2024 10:46 AM
पुलिस अधीक्षक (पटना-पूर्व) के कार्यालय ने बुधवार को एक बयान जारी कर सभी थाना अध्यक्षों को शराबबंदी कानून के उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार किए गए लोगों पर नजर रखने का निर्देश दिया। बयान में कहा गया है, "जिले के सभी थाना अध्यक्षों को आरोपियों के खिलाफ...
पटना: बिहार के तीन जिलों में हाल में जहरीली शराब पीने से 30 से ज्यादा लोगों की मौत के बाद, पटना पुलिस शराब के अवैध कारोबार में शामिल संदिग्धों के खिलाफ सख्त अपराध नियंत्रण अधिनियम (सीसीए) के तहत कार्रवाई पर विचार कर रही है। बिहार में उन संदिग्धों के खिलाफ सीसीए के तहत कार्रवाई की जाएगी, जिन्हें राज्य के शराबबंदी कानून के उल्लंघन के सिलसिले में पहले गिरफ्तार किया गया था और वे जमानत पर बाहर हैं।
पुलिस अधीक्षक (पटना-पूर्व) के कार्यालय ने बुधवार को एक बयान जारी कर सभी थाना अध्यक्षों को शराबबंदी कानून के उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार किए गए लोगों पर नजर रखने का निर्देश दिया। बयान में कहा गया है, "जिले के सभी थाना अध्यक्षों को आरोपियों के खिलाफ निवारक कार्रवाई के रूप में सीसीए लगाने से संबंधित प्रस्ताव प्रस्तुत करना चाहिए। शराबबंदी कानून के उल्लंघन में शामिल सभी आरोपी, जो जमानत पर बाहर हैं, उनका सत्यापन किया जाना चाहिए।" बयान में कहा गया है कि यह कदम जिले में शराब की बिक्री और निर्माण को रोकने के लिए एक निवारक उपाय के रूप में उठाया जा रहा है। बयान में कहा गया है कि सभी थाना अध्यक्षों को निर्देश दिया जाता है कि वे धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के कड़े प्रावधानों के तहत इन मामलों के आरोपियों के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करें। यदि आरोपियों पर पीएमएलए के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया जाता है, तो अधिकारी उनकी चल और अचल संपत्तियों को कुर्क करने की कार्यवाही शुरू करें।
पटना जिला पुलिस के कदम पर टिप्पणी करते हुए, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) राजीव मिश्रा ने बताया कि शराबबंदी कानूनों का उल्लंघन करने वाले आरोपियों के खिलाफ सीसीए के तहत कार्रवाई का प्रस्ताव उन्हें एक निश्चित अवधि के लिए निवारक हिरासत में रखने के लिए है ताकि शराबबंदी कानून का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके। बिहार में पिछले सप्ताह सिवान, सारण और गोपालगंज जिलों में जहरीली शराब पीने से 37 से अधिक लोगों की मौत के बाद पटना पुलिस द्वारा यह कदम उठाया गया है। इस घटना के बाद राज्य में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने पांच अप्रैल 2016 को शराब की बिक्री और खपत पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था।