Edited By Ramanjot, Updated: 02 Sep, 2025 02:09 PM

2005 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जैसे ही बिहार की गद्दी संभाली उनका पहला ध्यान लड़कियों की शिक्षा पर ही गया। उन्होंने ठान लिया कि बच्चियों की पढ़ाई के रास्ते में जो भी रोड़े हैं उनको हटाया जाए। इसके बाद ‘मुख्यमंत्री साइकिल योजना’ और ‘पोशाक योजना’...
पटना (विकास कुमार): बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को एक ऐसे नेता के तौर पर जाना जाता है, जिन्होंने महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई ऐतिहासिक फैसले लिए हैं। यही वजह है कि बिहार की महिलाएं उन्हें अपना सर्वमान्य नेता मानती रही हैं और चुनावों में भी यह वर्ग निर्णायक भूमिका निभाता आ रहा है। बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहचान केवल दूरदर्शी नेता के रूप में ही नहीं, बल्कि महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने वाले नेता के रूप में भी होती है। उनके कई बड़े फैसलों ने न केवल महिलाओं की सामाजिक स्थिति को मजबूत किया बल्कि प्रदेश के राजनीतिक समीकरणों पर भी गहरा प्रभाव डाला है। अब 2025 विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने महिलाओं के लिए कुछ नए फैसले किए हैं, जो सीधे-सीधे चुनावी समीकरणों को बदल सकते हैं।
लड़कियों की शिक्षा-साइकिल, पोशाक और कन्या उत्थान योजना
2005 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जैसे ही बिहार की गद्दी संभाली उनका पहला ध्यान लड़कियों की शिक्षा पर ही गया। उन्होंने ठान लिया कि बच्चियों की पढ़ाई के रास्ते में जो भी रोड़े हैं उनको हटाया जाए। इसके बाद ‘मुख्यमंत्री साइकिल योजना’ और ‘पोशाक योजना’ की शुरुआत हुई। आज ये योजनाएं बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने में मील का पत्थर साबित हुईं। ग्रामीण इलाकों की लाखों लड़कियां स्कूल जाने लगीं और आगे की पढ़ाई जारी रख सकीं। उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति और छात्रावास सुविधाएं भी महिलाओं की आकांक्षाओं को नई दिशा दे रही हैं। लड़कियों के बाल विवाह को रोकने और शैक्षणिक प्रगति के लिए 2018 में मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना लागू की गई थी। इस योजना के तहत अविवाहित इंटर पास लड़कियों को 10 हजार रुपए और ग्रेजुएट लड़कियों को 25 हजार रुपए दिए जाते थे। 2021 में इस राशि को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने और भी बढ़ा दिया। अब इंटर पास अविवाहित लड़कियों को 25 हजार और स्नातक पास लड़कियों को 50 हजार रुपए एकमुश्त दिए जाते हैं। इस योजना से लड़कियों की शिक्षा के स्तर में कई गुणा इजाफा हुआ। वहीं सरकारी नौकरी में आरक्षण मिलने से भी लड़कियां उच्च शिक्षा लेने के लिए प्रेरित हुईं।

लड़कियों को पढ़ाई पर मिलने वाली सरकारी आर्थिक सहायता
* इंटर पास अविवाहित लड़कियों को 25 हज़ार रुपए की स्कॉलरशिप
* स्नातक पास लड़कियों को 50 हज़ार रुपए स्कॉलरशिप
इसका सीधा असर यह हुआ कि बाल विवाह में कमी आई और लड़कियों की पढ़ाई के प्रति जागरूकता बढ़ी।
महिलाओं के कहने पर लागू किया गया शराबबंदी कानून
2016 में लागू की गई पूर्ण शराबबंदी महिलाओं के हित में सबसे बड़ा फैसला माना जाता है। गांव की तो बात छोड़िए शहर की महिलाएं भी इस फैसले की सबसे बड़ी समर्थक रहीं हैं, क्योंकि इससे घरेलू हिंसा और पारिवारिक कलह में जबरदस्त कमी आई। हालांकि शराबबंदी कानून को लेकर विपक्ष के कुछ नेता सवाल उठाते रहे हैं, लेकिन सामाजिक स्तर पर महिलाओं ने इसे अपना राजनीतिक हथियार बना लिया। शराबबंदी से घरेलू हिंसा और पारिवारिक कलह में भारी कमी आई। विपक्ष लगातार सवाल उठाता रहा, लेकिन नीतीश कुमार ने दबाव झेलते हुए भी शराबबंदी को बरकरार रखा।
पंचायती और स्थानीय निकाय चुनावों में महिला आरक्षण
ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति सुधारने और सशक्त बनाने के लिए नीतीश कुमार ने पंचायत चुनावों में महिलाओं को 50% आरक्षण देकर उन्हें राजनीतिक भागीदारी का सीधा अवसर दिया। आज हजारों की संख्या में महिलाएं मुखिया, सरपंच, वार्ड सदस्य और जिला परिषद सदस्य के रूप में सक्रिय राजनीति कर रही हैं। एक प्रकार से यह वर्ग अब नीतीश कुमार का स्थायी आधार बन चुका है।

सरकारी नौकरियों में विशेष अवसर
नीतीश सरकार ने महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 35 फीसदी आरक्षण देने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। इस कदम से महिलाओं की आत्मनिर्भरता को नई दिशा मिली है। नीतीश कुमार की इस पहल के कारण युवतियों का एक बड़ा वर्ग सरकार के समर्थन में मजबूती से खड़ा नजर आ रहा है।

मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की मिली मंजूरी
नीतीश कैबिनेट ने एक नई योजना ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ की मंजूरी दी है। इस योजना के तहत अब अपना रोजगार शुरू करने के लिए बिहार की महिलाओं को 10 हजार रुपए की सहायता राशि मिलेगी जिसे वापस करने की भी कोई जरूरत नहीं है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को अधिक सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना है, ताकि वे बिहार के विकास में और भी सक्रिय योगदान दे सकें। इस योजना की खास बात यह है कि 10 हजार रुपए की यह सहायता राशि महिलाओं को वापस नहीं करनी होगी। इसके अलावा, रोजगार को आगे बढ़ाने के लिए अगले 6 महीने के परफॉर्मेंस का आकलन किया जाएगा और जिसका परफॉर्मेंस अच्छा रहेगा उसे अधिकतम 2 लाख रुपए तक की मदद दी जाएगी। इस पूरी योजना को आगे बढ़ाने में जीविका दीदी की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस कदम को एक और बड़ा मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है।

हालिया ऐलान और चुनावी असर
हाल ही में महिलाओं के लिए स्वरोजगार प्रोत्साहन, वृद्धा पेंशन, स्वयं सहायता समूहों को सशक्त बनाने और स्वास्थ्य सुविधाओं को और बेहतर करने के ऐलान ने उनकी लोकप्रियता को फिर से बढ़ा दिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय 1,000 रुपए प्रतिमाह से बढ़ाकर 3,000 रुपए प्रतिमाह कर दिया है। वहीं ममता कार्यकर्ताओं को मिलने वाले प्रोत्साहन राशि को प्रति प्रसव 300 रुपए से बढ़ाकर 600 रुपए कर दिया गया है।
• आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय 1,000 से बढ़ाकर 3,000 रुपए।
• ममता कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन राशि 300 से बढ़ाकर 600 रुपए प्रति प्रसव।
• वृद्धा पेंशन और स्वयं सहायता समूहों को मजबूत करने पर जोर।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बिहार में महिला वोटरों का प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है और अगर नीतीश कुमार की महिला-केंद्रित नीतियों का असर कायम रहा, तो यह 2025 के विधानसभा चुनाव के समीकरणों को पूरी तरह बदल सकता है।