Edited By Ramanjot, Updated: 10 Jun, 2024 12:03 PM
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खुद को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘‘हनुमान'' बताने वाले चिराग पासवान केंद्र में अब मंत्री के रूप में अपनी नई पारी शुरू करने जा रहे हैं। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दल (यू)को झटका देने के बाद चिराग ने इस बार आम...
नई दिल्ली: लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने पिता रामविलास पासवान के "असली" राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। रविवार को सबको चौंकाते हुए चिराग को नरेन्द्र मोदी सरकार में शामिल किया गया और इसके साथ ही राजनीति के दंगल में उनकी जोरदार वापसी हुई।
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मंत्री के रूप में अपनी नई पारी शुरू करने जा रहे हैं चिराग
खुद को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘‘हनुमान'' बताने वाले चिराग पासवान केंद्र में अब मंत्री के रूप में अपनी नई पारी शुरू करने जा रहे हैं। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दल (यू)को झटका देने के बाद चिराग ने इस बार आम चुनाव में राजग के कोटे से अपनी पार्टी के लिए पांच सीटें हासिल कर यह जता दिया कि वह सियासत की बिसात पर गोटियां बिछाने के मामले में अपने पिता के असल वारिस हैं। पिता के मार्गदर्शन में चिराग ने अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत की थी। उन्हें राजनीति में प्रवेश करने में मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ा। चिराग का राजनीति में प्रवेश 2012 में हुआ जब उन्हें लोजपा में संसदीय बोर्ड का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वह पहली बार 2014 में बिहार के जमुई लोकसभा सीट से चुने गए। 2019 में भी वह इसी सीट से चुने गए।
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चिराग ने संयम के साथ परिपक्वता का भी किया प्रदर्शन
‘‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट'' के मिशन को लेकर आगे बढ़ रहे लोजपा (रामविलास) अध्यक्ष चिराग को 2020 में अपने पिता के निधन के बाद पारिवारिक एवं राजनीतिक दोनों स्तर पर मुश्किलों का सामना करना पड़ा। पार्टी के छह में से पांच सांसदों ने अलग गुट बना लिया जिसका नेतृत्व उनके चाचा पशुपति पारस ने किया। लेकिन चिराग ने संयम के साथ परिपक्वता का भी प्रदर्शन किया और उसका फल उन्हें 2024 के संसदीय चुनाव में मिला जब भारतीय जनता पार्टी नीत गठबंधन राजग के तहत उन्हें बिहार में कुल पांच सीट मिलीं। चार जून को घोषित लोकसभा चुनाव परिणाम में चिराग ने हाजीपुर सीट अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के शिवचंद्र राम को एक लाख 70 हजार से अधिक मतों के अंतर से पराजित किया। इसी के साथ अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को बाकी चारा सीट पर जीताने में भी कामयाब रहे।