Edited By Ramanjot, Updated: 29 Jan, 2025 01:28 PM
Mahakumbh Stampede: 1986 में हरिद्वार में कुंभ मेला लगा था। इस दौरान भी भगदड़ मचने से दर्जनों लोगों की दबकर मौत हो गई। बताया जाता है कि 14 अप्रैल 1986 को इस मेले में यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह, कई राज्यों के सीएम और सांसदों के साथ...
Mahakumbh Stampede: प्रयागराज महाकुंभ में बुधवार तड़के मौनी अमावस्या के अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं के उमड़ने के बाद भगदड़ जैसी स्थिति बन गई, जिससे कई लोगों की मौत की आशंका जताई जा रही है। हालांकि ऐसी घटना पहली बार नहीं हुई है, इससे पहले भी भगदड़ से अलग-अलग कुंभ क्षेत्र में ऐसे कई हादसे हो चुके हैं। आइए, जानते हैं कि कुंभ क्षेत्र में कब-कब हुए ऐसे हादसे?
2013 में 42 लोगों की हुई थी मौत
इससे पहले 2013 में प्रयागराज कुंभ में हादसा हुआ। ये हादसा इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर एक फुटब्रिज पर रेलिंग गिरने के बाद भगदड़ मचने से हुआ था। इस हादसे में 42 लोगों की मौत हो गई थी और 45 लोग जख्मी भी हो गए थे।
हरिद्वार कुंभ में 7 लोगों ने गंवाई जान
इसी तरह साल 2010 में हरिद्वार में कुंभ मेला हो रहा था। जानकारी के अनुसार, 14 अप्रैल 2010 को शाही स्नान के दौरान साधुओं और श्रद्धालुओं के बीच झड़प के बाद भगदड़ मच गई, जिसमें 7 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं 15 लोग घायल हो गए।
नासिक कुंभ हादसे ने लोगों को झकझोर कर रख दिया
वहीं 2003 में नासिक कुंभ में भी हादसा हुआ। नासिक में आयोजित कुंभ मेले के दौरान एक भयानक भगदड़ मच गई थी, जिसमें 39 तीर्थयात्रियों की जान चली गई थी। इस हादसे में 100 लोग जख्मी हो गए थे। इस घटना ने लाखों लोगों को झकझोर कर रख दिया था।
1986 में हुई थी सैंकड़ों लोगों की मौत
1986 में हरिद्वार में कुंभ मेला लगा था। बताया जाता है कि 14 अप्रैल 1986 को इस मेले में यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह, कई राज्यों के सीएम और सांसदों के साथ हरिद्वार पहुंचे थे। इस कारण आम लोगों की भीड़ को तट पर पहुंचने से रोका गया। इससे भीड़ बेकाबू हो गई और भगदड़ मच गई। जानकारी के अनुसार, इस हादसे में भी सैंकड़ों लोगों की मौत हो गई थी।
आजादी के बाद पहली बार 1954 में हुआ था हादसा
वहीं आजादी के बाद पहली बार 1954 में प्रयागराज कुंभ में बड़ा हादसा हुआ था। 3 फरवरी 1954 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर श्रद्धालुओं में भगदड़ मच गई थी। इस दौरान 800 लोगों की जान चली गई थी।
कुंभ मेले की परंपरा के मुताबिक, सन्यासी, बैरागी और उदासीन अखाड़े भव्य जुलूस के साथ संगम तट पर पहुंचकर एक तय क्रम में अमृत स्नान करते हैं जिसमें क्रम में पहले स्थान पर पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी अमृत स्नान करता है। त्रिवेणी संगम - गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम - हिंदुओं द्वारा सबसे पवित्र माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि महाकुंभ के दौरान और विशेषकर मौनी अमावस्या जैसी विशेष स्नान तिथियों पर इसमें डुबकी लगाने से लोगों के पाप धुल जाते हैं और उन्हें मोक्ष मिलता है।