Edited By Ramanjot, Updated: 04 Jul, 2024 02:42 PM
बिहार के सीवान, सारण, मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण और किशनगंज जिलों में पिछले एक पखवाड़े में पुल ढहने की दस घटनाएं सामने आई हैं। लोगों का दावा है कि भारी बारिश की वजह से ये हादसे हुए हैं। अधिवक्ता ब्रजेश सिंह की ओर से दाखिल जनहित याचिका में राज्य...
नई दिल्ली/पटनाः उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दाखिल कर बिहार सरकार को पुलों का संरचनात्मक ऑडिट कराने तथा एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है ताकि उन पुलों की पहचान की जा सके जिन्हें या तो मजबूत किया जा सकता है या जिन्हें गिराया जाना चाहिए।
बिहार के सीवान, सारण, मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण और किशनगंज जिलों में पिछले एक पखवाड़े में पुल ढहने की दस घटनाएं सामने आई हैं। लोगों का दावा है कि भारी बारिश की वजह से ये हादसे हुए हैं। अधिवक्ता ब्रजेश सिंह की ओर से दाखिल जनहित याचिका में राज्य के पुलों की सुरक्षा तथा मजबूती को लेकर चिंता व्यक्त की गई है। याचिका में उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति गठित करने के अलावा केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के मापदंडों के अनुसार पुलों की निगरानी कराने का भी अनुरोध किया गया है। जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा कि बिहार भारत में सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित राज्य है। राज्य में बाढ़ से प्रभावित होने वाला कुल क्षेत्रफल 68,800 वर्ग किलोमीटर है जो इसके कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 73.06 प्रतिशत है।
"आम लोगों का जीवन जोखिम में"
यचिकाकर्ता ने कहा, ‘‘बिहार में पुल गिरने की लगातार हो रही घटनाएं विनाशकारी हैं क्योंकि इससे आम लोगों का जीवन जोखिम में है। लोगों की जान बचाने के लिए न्यायालय के तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है, क्योंकि निर्माण पूरा होने से पहले ही, निर्माणाधीन पुल लगातार ढह रहे हैं।'' बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सड़क निर्माण और ग्रामीण निर्माण विभाग को राज्य के सभी पुराने पुलों का सर्वेक्षण करने और तत्काल मरम्मत की आवश्यकता वाले पुलों की पहचान करने का निर्देश दिया है।