Edited By Ramanjot, Updated: 21 Jun, 2025 10:28 AM

भले ही प्रेम में वफा की उम्मीदें अब दुर्लभ हो चली हैं लेकिन ऐसे ही समर्पित प्यार ने उम्मीदें कायम रखी हैं जैसा चिरैया गांव के वार्ड नंबर 5 निवासी 70 वर्षीय जमदार महतो और उनकी पत्नी 65 वर्षीय राजपति देवी ने एक दूसरे से किया। 48 वर्षों पूर्व एक-दूसरे...
Motihari News: बिहार के पूर्वी चंपारण जिला में बुजुर्ग दंपति ने साथ जीने और साथ मरने की कसम को पूरा कर प्रेम की अनूठी मिसाल कायम करते हुए 48 वर्षों के दाम्पत्य सफर के बाद दोनों ने एक साथ मृत्यु का आलिंगन किया और फिर एक ही चिता पर दोनों की काया को इकलौते पुत्र ने अंतिम विदाई दी।
48 साल पहले खाई थीं साथ जीने-मरने की कसमें
भले ही प्रेम में वफा की उम्मीदें अब दुर्लभ हो चली हैं लेकिन ऐसे ही समर्पित प्यार ने उम्मीदें कायम रखी हैं जैसा चिरैया गांव के वार्ड नंबर 5 निवासी 70 वर्षीय जमदार महतो और उनकी पत्नी 65 वर्षीय राजपति देवी ने एक दूसरे से किया। 48 वर्षों पूर्व एक-दूसरे से साथ जीने और साथ मरने की कसमें खाई थीं। किसी को नही पता था कि ऐसा ही होगा और आधी शताब्दी के दाम्पत्य सफर पूरा कर एक-एक कर दोनों एक साथ किसी और दुनिया के सफर पर निकल जाएंगे।
10 मिनट के अंतराल पर दोनों ने किया देह का त्याग
महज 10 मिनट के अंतराल पर दोनों ने देह का त्याग किया। गुरुवार की सुबह पहले जमदार महतो की तबियत बिगड़ी। उन्हें हिचकियां आ रही थीं। इकलौते पुत्र नवल किशोर महतो ने उनका सर गोद में लेकर उन्हें पानी पिलाने का प्रयास किया ही था कि आत्मा ने काया का साथ छोड़ दिया। नवल किशोर ने बताया कि पास में बैठी मां सबकुछ देख रही थी। उनसे कुछ बताया जाता इससे पहले ही पति के सीने पर मुक्का मारते हुए पांच मिनट तक रोती रहीं और फिर शांत हो गईं।
ध्यान से देखा तो उनकी भी सांसें थम चुकी थी। भारी संख्या में लोग इकट्ठे हो गए। किसी कथानक को हकीकत बनता हुआ लोगों ने देखा। फिर अंतिम विदाई के लिए गांव के एक बागीचे में एक ही चिता पर दोनों पति-पत्नी को इकलौते पुत्र नवल किशोर ने मुखाग्नि दी और उनकी काया पंचतत्व में धीरे-धीरे विलीन होती चली गई।