Edited By Ramanjot, Updated: 02 Aug, 2025 09:01 PM

बिहार के कई जिलों में इस बार मॉनसून ने साथ नहीं दिया है। जून से जुलाई तक राज्य में औसतन 30 फीसदी कम बारिश हुई है। इसका सीधा असर धान की रोपनी पर पड़ा है।
पटना:बिहार के कई जिलों में इस बार मॉनसून ने साथ नहीं दिया है। जून से जुलाई तक राज्य में औसतन 30 फीसदी कम बारिश हुई है। इसका सीधा असर धान की रोपनी पर पड़ा है। हालात को देखते हुए जल संसाधन विभाग ने युद्धस्तर पर कार्रवाई शुरू कर दी है। विभाग ने तय किया है कि राज्य के हर किसान तक नहरों के ज़रिए सिंचाई का पानी पहुंचाया जाएगा, वो भी नहरों के अंतिम छोर तक।
सरकार का आदेश, किसानों से करो सीधी बात
शनिवार को राज्यभर के कार्यपालक अभियंताओं को किसानों के साथ सीधी बैठक करने का निर्देश दिया गया। इस दौरान सैकड़ों किसानों से फीडबैक लिया गया। किसानों ने खुलकर अपनी समस्याएं बताईं। कुछ ने नहरों में गाद, कहीं पेड़-पौधों की रुकावट और कई जगह स्ट्रक्चर की कमी की बात बताई।
इन प्रमुख नदियों से होगी खेतों की सिंचाई
मुख्य सचिव संतोष कुमार मल्ल ने बताया कि इस बार 01 जून से 30 जुलाई तक राज्य में सिर्फ 343 मिमी बारिश हुई है, जबकि सामान्य बारिश 489 मिमी होनी चाहिए थी। यानी 30 प्रतिशत की कमी। इस चुनौती के बावजूद विभाग ने कमर कस ली है। सोन, गंडक, कोशी, कमला, फल्गु, चांदन और किउल जैसी प्रमुख नदियों से पानी लेकर नहरों के ज़रिए खेतों तक पहुंचाया जाएगा।
नहरों के अंतिम छोर पानी पहुंचाना प्राथमिकता
इस बैठक के बाद विभाग ने यह साफ कर दिया है कि चुनौती के बावजूद ‘नहरों के अंतिम छोर तक पानी पहुंचाना ही अब हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है।’ इस बैठक के दौरान किसानों के मोबाइल नंबर भी लिए गए हैं ताकि ज़रूरत पड़ने पर उनसे सीधे संपर्क किया जा सके। साथ ही, मुख्यालय से तुरंत समस्या का समाधान हो सके। जल संसाधन विभाग ने किसानों को भरोसा दिलाया है कि इन समस्याओं का जल्द समाधान होगा और किसी भी स्तर पर लापरवाही नहीं बर्दाश्त की जाएगी
जल्द पहुंचेगा इन जिलों में पानी
पटना, गया, रोहतास, औरंगाबाद और कैमूर जैसे दक्षिण बिहार के जिलों में नहर नेटवर्क अच्छा है। इसलिए वहां पानी जल्द और पर्याप्त मात्रा में पहुंचाने का निर्देश दे दिया गया है। बिहारशरीफ प्रमंडल के तहत हुई बैठक में किसानों ने कहा कि अधिकतर नहरों में अंतिम छोर तक पानी मिल रहा है। इसके लिए हम विभाग के आभारी हैं। हालांकि, उन्होंने कुछ जगहों पर गाद और झाड़ियों के कारण हो रही दिक्कतें भी कार्यपालक अभियंताओं से साझा कीं।