Edited By Ramanjot, Updated: 03 Sep, 2025 05:01 PM

पिछले चुनाव की तुलना में मतदान केंद्रों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि हुई है- लगभग 78,000 से बढ़कर 90,000 से ज़्यादा - क्योंकि प्रति बूथ 1,200 मतदाताओं की सीमा तय की गई है। इस विस्तार ने चुनाव कर्मचारियों की मांग भी बढ़ा दी है। ज़िला मजिस्ट्रेट...
Bihar Elections 2025: आगामी बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां ज़ोरों पर हैं। भारत निर्वाचन आयोग राज्य भर में लगभग 5.5 लाख मतदान कर्मियों को तैनात करने वाला है। इनमें पीठासीन अधिकारी, मतदान अधिकारी, माइक्रो ऑब्जर्वर और सेक्टर मजिस्ट्रेट शामिल होंगे, जो 90,712 से ज़्यादा मतदान केंद्रों पर मतदान का प्रबंधन करेंगे।
राज्य मुख्यालय में तैयार किए जा रहे मास्टर ट्रेनर
पिछले चुनाव की तुलना में मतदान केंद्रों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि हुई है- लगभग 78,000 से बढ़कर 90,000 से ज़्यादा - क्योंकि प्रति बूथ 1,200 मतदाताओं की सीमा तय की गई है। इस विस्तार ने चुनाव कर्मचारियों की मांग भी बढ़ा दी है। ज़िला मजिस्ट्रेट वर्तमान में कर्मियों की सूची को अंतिम रूप दे रहे हैं, जिन्हें यादृच्छिक तैनाती के लिए डिजिटल किया जाएगा। प्रशिक्षण तीन चरणों में आयोजित किया जाएगा, जिसमें ईवीएम और वीवीपैट संचालन, चुनावी प्रक्रियाएं और दस्तावेज़ीकरण शामिल होंगे। इन सत्रों का नेतृत्व करने के लिए राज्य मुख्यालय में मास्टर ट्रेनर तैयार किए जा रहे हैं।
प्रत्येक मतदान केंद्र पर होंगे तीन मतदान अधिकारी
प्रत्येक मतदान केंद्र पर एक पीठासीन अधिकारी और तीन मतदान अधिकारी होंगे, साथ ही माइक्रो ऑब्जर्वर और सेक्टर मजिस्ट्रेट के रूप में अतिरिक्त कर्मचारी तैनात किए जाएंगे। आपात स्थिति के लिए कर्मचारियों का एक आरक्षित पूल भी तैयार रखा जाएगा। राज्य सरकार के कर्मचारियों के साथ केंद्र सरकार के कर्मचारी भी शामिल होंगे, जिनके नाम जिला कार्यालयों से मांगे गए हैं। इस बीच, चुनाव आयोग सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहा है। बिहार पुलिस मुख्यालय ने पहले ही केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की आवश्यकता का आकलन कर लिया है और गृह मंत्रालय को एक सिफारिश भेज दी है, साथ ही राज्य पुलिस की पर्याप्त तैनाती की भी योजना बनाई जा रही है।
बिहार विधानसभा चुनाव बस कुछ ही हफ्ते दूर हैं, ऐसे में सभी की निगाहें भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) पर टिकी हैं, जो मतदाता सूचियों का बड़े पैमाने पर विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कर रहा है। इस प्रक्रिया के तहत, राज्य भर की मतदाता सूचियों से लगभग 65 लाख नाम हटा दिए गए हैं। बड़े पैमाने पर नामों के हटाए जाने से राजनीतिक विवाद छिड़ गया है। कांग्रेस, राजद और भाकपा-माले सहित विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं और इस प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाया है।