Bihar HIV Case: सीतामढ़ी में HIV मरीजों के आंकड़े कितने सही? BSACS ने बताया पूरा सच; लोगों से की ये अपील

Edited By Ramanjot, Updated: 11 Dec, 2025 05:24 PM

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समिति ने स्पष्ट किया कि सीतामढ़ी जिले में ICTC (एचआईवी जांच एवं परामर्श केंद्र) की शुरुआत 2005 में हुई, जबकि ART (एंटी रेट्रो वायरल थेरैपी) केंद्र 1 दिसंबर 2012 से संचालित है। पिछले 20 वर्षों में कुल लगभग 6900 मरीजों का रजिस्ट्रेशन हुआ है- जिसमें...

Bihar HIV Case: बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति (BSACS) ने हाल ही में कुछ इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में प्रकाशित सीतामढ़ी HIV केस से जुड़े दावों को पूरी तरह गलत और भ्रमित करने वाला करार दिया है। समिति का कहना है कि जिन आंकड़ों को “वर्तमान स्थिति” बताकर प्रसारित किया गया, वे वास्तविकता से बिल्कुल मेल नहीं खाते। 

वर्तमान संख्या बताकर फैलाया गया भ्रम: BSACS 

समिति ने स्पष्ट किया कि सीतामढ़ी जिले में ICTC (एचआईवी जांच एवं परामर्श केंद्र) की शुरुआत 2005 में हुई, जबकि ART (एंटी रेट्रो वायरल थेरैपी) केंद्र 1 दिसंबर 2012 से संचालित है। पिछले 20 वर्षों में कुल लगभग 6900 मरीजों का रजिस्ट्रेशन हुआ है- जिसमें मृत्यु, अन्य जिलों में शिफ्टिंग और दूसरे शहरों में इलाज कराने वाले मरीज भी शामिल हैं। BSACS ने कहा कि “6900 मरीजों को वर्तमान में उपचाराधीन बताना” पूरी तरह तथ्यहीन है, क्योंकि यह दो दशकों का कुल समेकित डेटा है। 

वर्तमान में 4958 मरीज ले रहे हैं नियमित उपचार 

समिति के अनुसार, सीतामढ़ी ART केंद्र पर फिलहाल 4958 मरीज नियमित रूप से एआरवी दवाओं का सेवन कर रहे हैं। साल 2025-26 में अक्टूबर तक केवल 200 नए मरीज ही चिन्हित किए गए हैं। समिति ने मीडिया के “प्रतिदिन मरीज बढ़ रहे हैं” जैसे दावों को भी गलत बताया और कहा कि रोज अस्पताल पहुंचने वाले अधिकतर पुराने रजिस्टर्ड मरीज ही होते हैं, जो अपनी दवा और परामर्श के लिए आते हैं। 

बच्चों में संक्रमण के आंकड़े भी बताए गलत 

BSACS के अनुसार, अब तक सीतामढ़ी जिले में केवल 188 बच्चे एचआईवी संक्रमित पाए गए हैं। सभी बच्चों का इलाज नियमित रूप से किया जा रहा है और उन्हें राज्य की सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत वित्तीय सहायता भी उपलब्ध है।

BSACS की अपील: अफवाहों से बचें, भेदभाव न करें 

समिति ने कहा कि एचआईवी एक संवेदनशील विषय है और तथ्यहीन रिपोर्टिंग से समाज में अनावश्यक भय और भ्रम फैलता है। समिति ने लोगों से अपील की है कि एचआईवी प्रभावित व्यक्तियों के प्रति किसी भी प्रकार का भेदभाव न करें। गर्भवती महिलाएं, यौन रोगी, टीबी मरीज और उच्च जोखिम वाले लोग समय पर एचआईवी की जांच अवश्य कराएं। एचआईवी सामान्य संपर्क से नहीं फैलता- इस बात को लेकर समाज जागरूक रहे।

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