बिहार लोक शिकायत कानून से बदली किस्मत, पिता को मिला बेटे की बीमा राशि का हक

Edited By Ramanjot, Updated: 14 Jul, 2025 06:29 PM

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बिहार राज्य में गवर्नेंस एवं प्रशासनिक सुधार के क्षेत्र में न्याय के साथ विकास के माननीय मुख्यमंत्री के विज़न को साकार करने हेतु बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनयम 2015, 5 जून 2016 को राज्य में लागू किया गया।

पटना: बिहार राज्य में गवर्नेंस एवं प्रशासनिक सुधार के क्षेत्र में न्याय के साथ विकास के माननीय मुख्यमंत्री के विज़न को साकार करने हेतु बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनयम 2015, 5 जून 2016 को राज्य में लागू किया गया। इस अधिनियम के अंतर्गत प्राप्त लोक शिकायतों का नियत समय (60 कार्यदिवस) में लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के द्वारा निवारण सुनिश्चित किया जाता है। इस क्रम में यह कहानी एक बीमा भुगतान की नहीं, बल्कि शासन की संवेदनशीलता, जनकल्याण के प्रति प्रतिबद्धता और एक पिता के संघर्ष की असाधारण विजय की कहानी है।

कामेश्‍वर प्रसाद आर्य, जो पटना के अनीसाबाद क्षेत्र में निवास करते हैं, ने अपने दिवंगत पुत्र श्री प्रभात शंकर को खोने के बाद न केवल अपार दुःख सहा, बल्कि न्याय के लिए लंबा और धैर्यपूर्ण संघर्ष भी किया। प्रभात शंकर, बख्तियारपुर प्रखंड में पंचायत रोजगार सेवक के पद पर कार्यरत थे और 14 अगस्त 2023 को ड्यूटी पर जाते समय एक दुर्भाग्यपूर्ण रेल दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई।

दुख की इस घड़ी में, परिवार को एकमात्र सहारा था – वह बीमा लाभ, जिसका प्रावधान बिहार रूरल डेवलपमेंट सोसायटी (BRDS) और एचडीएफसी बैंक के बीच हुए समझौते में किया गया था। कामेश्वर प्रसाद ने समय पर बीमा दावा प्रस्तुत किया, परंतु महीनों तक कोई सुनवाई नहीं हुई।

इस मामले को जब विभागीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया गया, तब सुनवाई शुरू हुई और BRDS से प्रतिवेदन मांगा गया जिसमे BRDS ने बैंक को बीमा भुगतान हेतु अनुरोध पत्र भेजा। जब यह मामला ग्रामीण विकास विभाग के संज्ञान में लाया गया, तब आयुक्त मनरेगा ने इसे गंभीरता से लेते हुए BRDS और HDFC बैंक के शीर्ष अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि स्वर्गीय प्रभात शंकर के आश्रितों को शीघ्र लाभ पहुँचाया जाए।

लोक शिकायत निवारण में सुनवाई के परिणामस्वरूप, अंततः एचडीएफसी बैंक द्वारा प्रभात शंकर के आश्रितों के बैंक खाते में ₹10 लाख की बीमा राशि का भुगतान कर दिया गया। यह न केवल कामेश्वर प्रसाद के लिए आर्थिक राहत थी, बल्कि यह एक उदाहरण भी बन गया कि शिकायत निवारण प्रणाली समय पर हस्तक्षेप करे तो आम नागरिक के शिकायत का निवारण शीघ्रता से संभव है। 

लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के सशक्त प्रावधानों के प्रभावकारी क्रियान्वयन से कामेश्वर प्रसाद आर्य को अंततः न्याय मिल पाया। कामेश्वर प्रसाद आर्य द्वारा इस पर ख़ुशी प्रकट करते हुए कहा गया कि लोक शिकायत निवारण कानून के लागू होने के कारण हीं इनके लंबित मुआवजा राशि का भुगतान इतनी आसानी से संभव हो सका।

इस अधिनियम के लागू होने के बाद अबतक 17 लाख से अधिक मामलों का सफलता पूर्वक निवारण हुआ है। इस अधिनियम में अंतर्गत लोक शिकायत निवारण कार्यालयों में परिवादी एवं लोक प्राधिकार को आमने सामने बैठाकर शिकायत का समाधान कराया जाता है। शिकायत दर्ज करने हेतु लोक शिकायत निवारण कार्यालय जाने के आवश्यकता भी नहीं है, घर बैठे हीं ऑनलाइन पोर्टल (https://lokshikayat.bihar.gov.in/) पर अथवा जन समाधान मोबाइल  ऐप्प द्वारा आसानी से शिकायत दर्ज करायी जा सकती है। लोक शिकायतों का त्वरित समाधान होने से आम जनों का इस अधिनियम पर भरोसा बढ़ा है।

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