Edited By Ramanjot, Updated: 03 Sep, 2025 07:27 PM

मत्स्य पालकों के लिए पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने जरूरी सलाह जारी की है। इस सलाह में बताया गया है कि वे सितम्बर माह में किन महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान दें।
पटना:मत्स्य पालकों के लिए पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने जरूरी सलाह जारी की है। इस सलाह में बताया गया है कि वे सितम्बर माह में किन महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान दें। इसमें कहा गया है कि मत्स्य बीज उत्पादकों को सितम्बर माह के प्रथम सप्ताह के बाद स्पॉन उत्पादन का कार्य बंद कर देना चाहिए।
पंगेशियस मछली का पालन करने वाले कृषकों को पूरक आहार प्रबंधन के क्रम में मछली के कुल औसत वजन के हिसाब से छः माह की पालन अवधि में क्रमशः 6%, 5%, 4%, 3%, 2%, 1.5% प्रथम माह से छठा माह तक पूरक आहार देना चाहिए। पालन अवधि में मछली के औसत वजन के हिसाब से प्रथम दो माह 32% प्रोटीन युक्त आहार अगले दो माह 28% प्रोटीन युक्त आहार पांचवे माह में 25% प्रोटीन युक्त आहार एवं छठे माह में 20% प्रोटीन युक्त आहार प्राथमिकता के आधार पर प्रयोग करें। इस महीने में वातावरण का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से कम एवं 36 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होने पर पूरक आहार का प्रयोग आधा कर देना चाहिए।
तालाब का पानी अत्याधिक हरा होने पर यह करें
तालाब का पानी अत्याधिक हरा हो जाने पर रासायनिक उर्वरक एवं चूना का प्रयोग एक माह तक बंद कर देना चाहिए। इसके बाद भी यदि हरापन नियंत्रित नहीं हो तो दोपहर के समय 800 ग्राम कॉपर सल्फेट या 250 ग्राम एट्राजीन (50%) प्रति एकड़ की दर से 100 लीटर पानी में घोल कर तालाब में छिड़काव करना चाहिए।
तालाब में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर ऑक्सीजन बढ़ाने वाली टेबलेट 400 ग्राम/एकड़ की दर से इस्तेमाल करें। 15 दिनों के अंतराल पर बरसात के मौसम में सूखा छिड़काव करें या सुबह एवं शाम को चार-चार घंटे एरेटर/एअर ब्लोअर चलायें।
ऐसे बचाएं संक्रमण से
मछली की जल्द बढ़वार के लिए फीड सप्लीमेंट के रूप में प्रति किलोग्राम पूरक आहार में 10 ग्राम सूक्ष्म खनिज तत्व, 2-5 ग्राम गट प्रोबायोटिक्स को वनस्पति तेल या बाजार में उपलब्ध कोई भी बाईंडर 30 एम.एल/किलोग्राम भोजन में मिलाकर प्रतिदिन खिलाना चाहिए।
मछली को संक्रमण से बचाने के लिए प्रति 15 दिन पर पी.एच. मान के अनुसार 10-15 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से चूना घोलकर छिड़काव करें एवं माह में एक बार प्रति एकड़ की दर से 400 ग्राम पोटेशियम परमैग्नेट को पानी में घोलकर छिड़काव करें। मछली को पारासाईटिक संक्रमण से बचाने के लिए फसल चक्र में दो बार (दो माह पर) 40 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से नमक को पानी में घोलकर छिड़काव करें एवं माह में एक सप्ताह प्रति किलोग्राम पूरक आहार में 10 ग्राम नमक मिलाकर मछलियों को खिलायें।