Edited By Ramanjot, Updated: 04 Jun, 2025 07:14 PM

बिहार की कृषि को उन्नत और लाभकारी बनाने में अब राज्य की महिला किसान की भूमिका भी काफी अहम साबित हो रही है। अब महिलाएं न सिर्फ खुद खेती कर रही हैं। बल्कि, इससे आय का स्रोत भी बना लिया है।
पटना:बिहार की कृषि को उन्नत और लाभकारी बनाने में अब राज्य की महिला किसान की भूमिका भी काफी अहम साबित हो रही है। अब महिलाएं न सिर्फ खुद खेती कर रही हैं। बल्कि, इससे आय का स्रोत भी बना लिया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब राज्य की असिंचित कृषि भूमि को सात निश्चय-2 के तहत “हर खेत तक सिंचाई का पानी” पहुंचाने के लिए “मुख्यमंत्री निजी नलकूप योजना” की शुरुआत की तो इस योजना में राज्य की महिला किसानों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। लघु जल संसाधन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि इस योजना के तहत 2024 से अब तक राज्य के 20 हजार 228 किसानों ने 115 करोड़ 74 लाख रुपये सरकारी अनुदान का लाभ उठाया है। इसमें 3 हजार 877 महिला किसान शामिल हैं। इन महिला किसानों ने अपने खेतों में निजी नलकूप गड़वाने के लिए सरकार से कुल 22.52 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त किया है।
क्या है मुख्यमंत्री निजी नलकूप योजना
दक्षिण बिहार के जिन जिलों में जल स्तर का संकट सबसे अधिक है। इस क्षेत्र में राज्य सरकार ने अपने पांच विभागों से 21 हजार 274 ऐसे स्थलों का चयन किया है, जहां जल संकट के कारण कृषि की भूमि असिंचित है। इसके आधार पर पटवन के लिए निजी नलकूप स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की गई। इसमें पहले चरण में 18 हजार 747 स्थलों को चिन्हित किया गया। सरकारी अनुदान से निजी नलकूप स्थापित करने वाले किसानों के लिए सरकार ने शर्त यह रखी कि केन्द्रीय भूजल बोर्ड की तरफ से चिन्हित अतिदोहित और संकटग्रस्त प्रखंडों एवं पंचायतों को इस योजना में शामिल नहीं किया जाएगा।
इस योजना में सामान्य वर्ग के किसानों के लिए 50 प्रतिशत, पिछड़ी व अतिपिछड़ी जातियों के किसानों के लिए 70 प्रतिशत और अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के किसानो को निजी नलकूप स्थापित करने के लिए 80 तक प्रतिशत अनुदान का प्रावधान किया गया है।
योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों की पात्रता
राज्य सरकार ने सर्वेक्षण के बाद राज्य के वैसे प्रगतिशील और इच्छुक किसानों, जिनके पास न्यूनतम 0.40 एकड़ (40 डिसमिल) जमीन है, उन्हें इसका लाभ मिल सकता है। अनुदान उन्हें ही दिया जाता है, जिन्होंने अपने खेतों के पटवन के लिए बोरिंग कराने के लिए पूर्व में लघु जल संसाधन विभाग या किसी अन्य विभाग अथवा संस्था से किसी तरह की वित्तीय सहायता प्राप्त नहीं की हो।