चिराग पासवान ने जीती जंग! लोजपा (रामविलास) को मिला पार्टी कार्यालय, विभाग ने पशुपति पारस से ले लिया था वापस

Edited By Ramanjot, Updated: 09 Jul, 2024 03:16 PM

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बिहार में 5 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने के बाद लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) चिराग पासवान केंद्रीय मंत्री बन गए हैं। इसी बीच उन्होंने एक और जंग जीत ली है। दरअसल, चाचा पशुपति पारस को मिला हुआ कार्यालय उनसे वापस लेकर अब चिराग पासवान की पार्टी लोक...

पटना: बिहार में 5 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने के बाद लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) चिराग पासवान केंद्रीय मंत्री बन गए हैं। इसी बीच उन्होंने एक और जंग जीत ली है। दरअसल, चाचा पशुपति पारस को मिला हुआ कार्यालय उनसे वापस लेकर अब चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को दे दिया गया है।

बता दें कि ये कार्यालय पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी के नाम पर था। पार्टी के दो गुट होने के बाद यह चाचा पशुपति पारस को दिया गया, लेकिन अब फिर से चिराग पासवान की पार्टी को मिल गया है। कुछ दिन पहले ही भवन निर्माण विभाग द्वारा पशुपति पारस से ये कार्यालय वापस ले लिया गया था। इससे पहले लोकसभा चुनाव में पशुपति पारस को एनडीए की तरफ से एक भी सीट नहीं दी गई। लिहाजा अब राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी की दावेदारी इस दफ्तर से भी खत्म होती नजर आ रही थी।

बंगला और दफ्तर चिराग पासवान को आवंटित
बीते 13 जून को ही बिहार भवन निर्माण विभाग ने नोटिस भेजकर रालोजपा कार्यालय का आवंटन रद्द कर दिया था। बताया गया था कि पार्टी द्वारा टैक्स का भुगतान नहीं किया गया है। भवन निर्माण विभाग ने जो पत्र जारी किया है उसमें कहा है कि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रदेश अध्यक्ष ने दिनांक-04.07.2024 को पार्टी कार्यालय के लिए आवास मुहैया कराने का अनुरोध किया था। आदेश में कहा गया है कि राजनीतिक पार्टियों को पार्टी कार्यालय के लिए सरकारी भवन आवंटित करने के लिए प्रावधान किया गया है। विभागीय संकल्प के कंडिका दो में स्पष्ट किया गया है कि पार्टी कार्यालय के लिए आवासीय भवन का आवंटन 2 सालों के लिए किया जाएगा। 2 साल की अवधि समाप्त होने के बाद आवंटन रिन्यू किया जाएगा।  

आगे आदेश में कहा गया है की सरकारी आवास का रिन्यू इस शर्त पर होगा कि समय पर पार्टी की ओर से सभी देय करों का भुगतान कर दिया गया हो। आवंटन नवनीकृत नहीं किए जाने की स्थिति में आवंटन रद्द माना जाएगा। इसी के साथ तत्काल आवास को खाली करने के लिए बिहार सरकारी परिसर किराया वसूली और बेदखली अधिनियम 1956 के तहत कार्रवाई की जाएगा।

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