आनंद मोहन की रिहाई के बाद भाकपा माले ने CM नीतीश को लिखा पत्र, टाडा बंदियों की रिहाई के लिए बढ़ाया दबाव

Edited By Ramanjot, Updated: 28 Apr, 2023 01:00 PM

cpi male wrote a letter to cm nitish after the release of anand mohan

भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर कहा कि बिहार सरकार ने हाल ही में 14 वर्ष से अधिक की सजा काट चुके 27 कैदियों की रिहाई का आदेश जारी किया है लेकिन यह रिहाई सिर्फ चुनिंदा लोगों की हुई है, जिसके कारण आम...

पटना: बिहार में जिलाधिकारी की हत्या के मामले में 14 वर्ष की सजा काट चुके पूर्व सांसद आनंद मोहन के साथ ऐसे अन्य कैदियों की रिहाई के बाद भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी लेनिनवादी (भाकपा माले) ने टाडा बंदियों को भी रिहा करने के लिए नीतीश सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। 

"सिर्फ चुनिंदा लोगों की हुई यह रिहाई"
भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर कहा कि बिहार सरकार ने हाल ही में 14 वर्ष से अधिक की सजा काट चुके 27 कैदियों की रिहाई का आदेश जारी किया है लेकिन यह रिहाई सिर्फ चुनिंदा लोगों की हुई है, जिसके कारण आम जनमानस में कई प्रकार के संदेह उत्पन्न हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के विधायकों ने अरवल के भदासी कांड के टाडा बंदियों की रिहाई के सवाल पर पिछले दिनों मुख्यमंत्री से दो-दो बार मुलाकात की थी। राज्य की जनता और टाडाबंदियों के परिजनों को उम्मीद थी कि सरकार द्वारा की जा रही कैदियों की रिहाई में टाडाबंदियों को भी रिहा किया जाएगा लेकिन रिहा किए गए कैदियों की लिस्ट को देखकर बेहद निराशा हुई। इसमें टाडाबंदियों पर कोई विचार नहीं किया गया। 
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"14 टाडा बंदियों में से अब तक 6 की हो चुकी मौत" 
कुणाल ने कहा कि वर्ष 1988 की एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में 14 निर्दोष लोगों को फंसा दिया गया था और उनके ऊपर जनविरोधी टाडा एक्ट उस वक्त लगाया गया जब वह पूरे देश में निरस्त हो चुका था। फिर 2003 में सभी को आजीवन कारावास की सजा भी सुना दी गई। उन्होंने कहा कि 14 टाडा बंदियों में से अब तक 6 की मौत हो चुकी है। एक टाडा बंदी त्रिभुवन शर्मा को 2020 में पटना उच्च न्यायालय के आदेश से रिहा भी किया जा चुका है लेकिन शेष छह टाडा बंदी जगदीश यादव, चुरामन भगत, अरविंद चौधरी, अजीत साहू, श्याम साहू और लक्ष्मण साहू अभी भी जेल में है। इन टाडाबंदियों ने 22 साल से अधिक की सजा काट ली है और सब के सब बूढ़े तथा बीमार हैं। इसकी प्रबल संभावना है कि इसमें से कुछ और की जेल में मौत हो जाए।

भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि वह एक बार फिर मुख्यमंत्री से आग्रह करते हैं की रिहाई के आदेश को पारदर्शी बनाया जाए और इसे उन समस्त कैदियों पर लागू किया जाए जिन्होंने 14 साल जेल की सजा काट ली है। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि 22 साल से जेल में बंद टाडा बंदियों की रिहाई के सवाल पर मुख्यमंत्री पूरी संवेदना के साथ सहानुभूति पूर्वक विचार करेंगे । 

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