Edited By Swati Sharma, Updated: 28 Dec, 2024 12:14 PM
वामदल ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग को लेकर 30 दिसंबर को देशव्यापी विरोध दिवस का निर्णय लिया है। वामदलों की ओर से शुक्रवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि राज्यसभा में शाह के डॉ. बी.आर. अंबेडकर पर की गई अपमानजनक...
पटना: वामदल ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग को लेकर 30 दिसंबर को देशव्यापी विरोध दिवस का निर्णय लिया है। वामदलों की ओर से शुक्रवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि राज्यसभा में शाह के डॉ. बी.आर. अंबेडकर पर की गई अपमानजनक टिप्पणियों के खिलाफ देश भर में व्यापक गुस्सा है। जगह- जगह विरोध हो रहे हैं, लेकिन न तो शाह और न ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी प्रकार की जिम्मेदारी लेने और उपचारात्मक कार्रवाई करने को तैयार हैं। इसलिए वाम दलों ने शाह के इस्तीफे की मांग पर 30 दिसंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का निर्णय किया है।
भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव ललन चौधरी और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक (एआइएफबी) एवं रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के नेताओं ने शुक्रवार को संयुक्त प्रेस बयान जारी करके 30 दिसंबर को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर संयुक्त रूप से विरोध दिवस आयोजित करने की घोषणा की है।
वाम नेताओं ने कहा कि शाह की टिप्पणी संविधान और बाबा साहब के प्रति भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की घृणा का प्रदर्शन है। मनुस्मृति को देश का संविधान बना देने की उनकी बेचैनी साफ तौर पर जाहिर हो रही है, लेकिन देश की जनता संविधान और बाबा साहब पर हो रहे हर हमले का जोरदार प्रतिवाद जारी रखेगी।