Bihar Assembly Election 2020: रोहतास में सियासी बगावत के बीच रण में उतरे नए सूरमा

Edited By Nitika, Updated: 27 Oct, 2020 06:17 PM

new surma enters battle amid political rebellion in rohtas

बिहार में प्रथम चरण में 28 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में रोहतास जिले में अपनों का साथ छोड़ परायों का हाथ थाम जीत की तलाश में निकले राजनीतिक दलों के धुरंधर नेताओं की बगावत के बीच नए सूरमा अपनी सियासी जमीन की तलाश में जोर आजमाइश कर रहे हैं।

 

पटनाः बिहार में प्रथम चरण में 28 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में रोहतास जिले में अपनों का साथ छोड़ परायों का हाथ थाम जीत की तलाश में निकले राजनीतिक दलों के धुरंधर नेताओं की बगावत के बीच नए सूरमा अपनी सियासी जमीन की तलाश में जोर आजमाइश कर रहे हैं।

चेनारी (सुरक्षित) सीट से वर्ष 2015 में रालोसपा के टिकट पर ललन पासवान ने कांग्रेस उम्मीदवार मंगल राम को 9781 मतों के अंतर से पराजित किया था लेकिन बदलते राजनीतिक परिस्थितियों में पासवान पाला बदलकर जदयू में शामिल हो गये हैं और उन्हें टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने मुरारी प्रसाद गौतम को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। वहीं, पूर्व विधायक श्याम बिहारी राम के बसपा से और भाजपा के सांसद छेदी पासवान के भतीजे चंद्रशेखर पासवान के लोजपा की ओर से चुनावी संग्राम में उतर जाने से यहां मुकाबला दिलचस्प हो गया है। चेनारी विधानसभा सीट पर भाजपा सासंद छेदी पासवान के पुत्र रवि पासवान ने भी दावा ठोका था लेकिन बात नहीं बन सकी। ललन पासवान वर्ष 2015 के पहले फरवरी 2005 और अक्टूबर 2005 में जदयू की टिकट पर इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। यहां से 13 पुरुष और 2 महिला सहित 15 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।

चेनारी सीट पर सर्वाधिक 5 बार कांग्रेस का कब्जा रहा है। शेरशाह सूरी के मकबरा के लिये प्रसिद्ध सासाराम सीट पर राजनीतिक दलों के नेताओं की बगावत की आंधी देखने को मिल रही है। करीब 3 दशक से सासाराम विधान सभा क्षेत्र चुनाव में मुख्य केंद्र रहे भाजपा के तुरुप का ‘इक्का' माने जाने वाले 5 बार के विधायक जवाहर प्रसाद इस बार चुनावी मैदान से बाहर कर दिये गये। वहीं 3 दशक से राजनीति में सक्रिय राजद के निवर्तमान विधायक डॉ. अशोक कुमार इस बार चुनाव में पाला बदलकर जदयू में शामिल हो गS जिनका मुकाबला राजद के नए खिलाड़ी राजेश कुमार गुप्ता से माना जा रहा है। सासाराम से सीट नहीं मिलने से नाराज उत्तर प्रदेश भाजपा के सह प्रभारी रहे रामेश्वर चौरसिया ने लोजपा के बंगले की शरण ले ली और इस सीट से चुनाव लड़कर मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं।

सासाराम सीट पर वर्ष 2015 में राजद के टिकट पर अशोक कुमार ने भाजपा प्रत्याशी जवाहर प्रसाद को 19612 मतों के अंतर से शिकस्त दी थी। सासाराम सीट 3 दशक से भाजपा का गढ़ रहा है। भाजपा के जवाहर प्रसाद ने वर्ष 1990, 1995, फरवरी 2005, अक्टूबर 2005 और वर्ष 2010 में भाजपा का ‘कमल' खिलाया है, हालांकि वर्ष 2015 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। इस बार के चुनाव में राजग में तालमेल के तहत यह सीट जदयू के पाले में चली गई है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भाजपा से टिकट कटने के बाद प्रसाद ने लोजपा से लेकर रालोसपा तक से टिकट लेने का प्रयास किया लेकिन बात नहीं बन सकी। सासाराम सीट के हालिया समीकरणों को देखकर यह अंदाजा लगाया जा जा रहा है कि राजग में अंदरूनी कलह के बीच महागठबंधन के उम्मीदवार को फायदा हो सकता है। इस सीट पर 17 पुरुष और 3 महिला सहित 20 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं।

दिनारा विधासभा सीट पर बगावत की हवा बहती नजर आ रही है। इस सीट से सियासी पिच पर जीत की हैट्रिक जमाने के लिए उतरे जदयू के निवर्तमान विधायक और उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह की प्रतिष्ठा दाव पर है, वहीं उनके विरूद्ध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबंध रखने वाले भाजपा से बागी राजेंद्र सिंह को लोजपा ने पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। राजद के टिकट पर विजय कुमार मंडल पहली बार भाग्य आजमां रहे हैं। वर्ष 2015 में जदयू प्रत्याशी जय कुमार सिंह ने भाजपा प्रत्याशी राजेन्द्र प्रसाद सिंह को 2691 मतों के अंतर से पराजित किया था। दोनों धुरंधर राजनेताओं के बीच कांटे का मुकाबला फिर से देखने को मिल सकता है। दिनारा सीट पर 17 पुरुष और 2 महिला सहित 19 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं।
 

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