नीतीश कुमार की एक सोच ने बदल दी बिहार की लाखों जीविका दीदियों की जिंदगी, समूह में काम कर महिलाएं कर रही हैं लाखों की आमदनी

Edited By Neetu Bala, Updated: 29 Jul, 2024 01:13 PM

one thought of nitish kumar changed the lives of jeevika didi

बिहार में नब्बे के दशक में महिलाएं, पुरुषों की तुलना में जीवन के हर क्षेत्र में काफी पीछे थीं। जब से नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री के पद की जिम्मेदारी संभाली तब से ही उन्होंने महिलाओं के चहुंमुखी उत्थान के लिए कोई कसर नहीं छोड़ा।

 

पटना(विकास कुमार): बिहार में नब्बे के दशक में महिलाएं, पुरुषों की तुलना में जीवन के हर क्षेत्र में काफी पीछे थीं। जब से नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री के पद की जिम्मेदारी संभाली तब से ही उन्होंने महिलाओं के चहुंमुखी उत्थान के लिए कोई कसर नहीं छोड़ा। वैसे इतिहास में बहुत कम ही शासक हुए हैं, जिन्होंने बड़े स्तर पर सामाजिक बदलाव करने में सफलता हासिल की है।
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नीतीश कुमार का नाम उन राजनेताओं में शुमार होता है, जिन्होंने बिहार जैसे परंपरावादी और रूढ़िवादी समाज में तीव्र गति से सामाजिक और आर्थिक बदलाव लाने में कामयाबी हासिल की है। नीतीश कुमार ने गांवों से पलायन रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने का सपना देखा और जीविका दीदी जैसी कारगर योजना से उस सपने को सच साबित करके दिखाया। जीविका दीदी योजना के माध्यम से नीतीश कुमार ने महिलाओं को आर्थिक तौर से स्वावलंबी बनाने की मुहिम चलाई। इस योजना ने बिहार के दूरदराज के गांव में रहने वाली महिलाओं की सोच और आर्थिक स्थिति दोनों को ही बदल कर रख दिया है। बिहार में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी दीदियों की संख्या बढ़कर एक करोड़ तीस लाख के पार पहुंच गई है और ये दीदियां हर दिन कुछ न कुछ सकारात्मक योगदान जरूर दे रही हैं।
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‘जीविका दीदी ने महिलाओं को स्वरोजगार मुहैया कराया’
मुख्यमंत्री को बिहार के लोगों की मनोदशा और आर्थिक स्थिति की बहुत ही बारीक समझ है। उन्हें ये पता था कि बिहार की महिलाओं के पास हुनर की कोई कमी नहीं है लेकिन इस हुनर को दिखाने के लिए उनके पास संसाधन का अभाव है। जीविका दीदी योजना ने इसी संसाधन की कमी को दूर किया। 'जीविका' बिहार के ग्रामीण इलाकों में उन महिलाओं के लिए काफ़ी मददगार साबित हुआ है जिनके पास आय का कोई साधन नहीं है। यह योजना बिहार के सभी 38 जिलों के सभी 534 ब्लॉक में चल रही है। जीविका के तहत सबसे पहले ग़रीब महिलाओं को चुना जाता है, जिनके पास आय का कोई साधन नहीं होता है। ऐसी 10 से 12 महिलाओं का एक सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाया जाता है, ताकि वे किसी काम काज से जुड़ सकें। ऐसे हर ग्रुप का एक बैंक खाता खुलवाया जाता है और हर महिला को हफ़्ते में 10 रुपए बचाकर बैंक में जमा कराना होता है ताकि उनमें पैसे बचाने की आदत डाली जा सके।हर ग्रुप के खाते में नीतीश सरकार की तरफ से भी 30 हज़ार रुपए जमा कराया जाता है। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इससे कर्ज़ लेकर कोई भी काम शुरू कर सकती हैं या किसी भी ज़रूरत के वक्त यहां से लोन ले सकती हैं। इसका पैसा इन्हें ग्रुप के खाते में वापस करना होता है। यहां पैसे को सफलता से वापस करने के बाद बैंक ऐसे एक समूह को शुरू में डेढ़ लाख रुपए तक का लोन सरकार मुहैया कराती है।
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‘नीतीश बाबू ने सारण जिले के जीविका दीदियों की बदल दी जिंदगी’
बिहार के हर गांव में कोई न कोई एक जीविका दीदी हैं जो इलाके में सामाजिक और आर्थिक बदलाव की प्रतिनिधि बन गई हैं। इन जीविका दीदी को देखकर हर इलाके में गरीब महिलाएं अपने परिवार के उत्थान के लिए प्रयास में जुट जाती हैं। सारण जिले की मांझी की महिलाएं भी कमाल कर रही हैं।सारण जिले की मांझी का विराट महिला संकुल स्तरीय संघ की सतत जीविकोपार्जन योजना से जुड़ी दीदियों ने स्वरोजगार की ओर एक बेहतरीन कदम बढ़ाया है।एक वक्त था जब ये सभी 25 दीदियां दो वक्त के खाने के लिए भी जूझ रहीं थी। समाज में इन 25 जीविका दीदियों की कोई अपनी पहचान नहीं थी लेकिन सतत जीविकोपार्जन योजना से जुड़ाव के बाद इन सभी महिलाओं का आर्थिक और सामाजिक विकास हुआ। ये दीदियां सिक्की का इस्तेमाल कर मुख्यत: पारंपरिक डलिया तैयार करती थी। मांझी प्रखंड के एसजेवाई टीम के मार्गदर्शन में ये 25 दीदियां सतत जीविकोपार्जन योजना से जुड़ गईं। समूह से प्राप्त लोन से इन महिलाओं ने अपनी हस्तकला को कमाई का एक जरिया बना दिया। हालांकि तैयार उत्पाद के लिए बाजार और उचित मूल्य तलाशना इनके लिए बड़ी चुनौती थी। बजरंगबली समूह की सीता देवी बताती हैं कि स्थानीय स्तर पर बमुश्किल ही उत्पाद की बिक्री हो पाती है और इससे उनका खर्चा भी नहीं निकल पाता था।इसके बाद इस हस्तकला से जुड़ी सभी जीविका दीदियों का एक उत्पादक समूह बनाने का प्रस्ताव रखा गया। संकुल स्तरीय संघ की बैठक में इन दीदियों ने एक साथ भाग लेकर उत्पादक समूह का निर्माण किया। इस समूह का नाम कुशाग्राम जीविका महिला सिक्की उत्पादक समूह रखा गया है। अब ये महिलाएं एसजेवाई टीम के मार्गदर्शन में डलिया, पेन स्टैंड, सिक्की, पोला चूड़ी, कानबाली, दुल्हन सेट चूड़ी, राखी और गिफ्ट बनाने लगीं।
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इस काम से जीविका दीदियों ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 6,52,000 रुपए की आमदनी अर्जित की। आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने के बाद समाज में जीविका दीदियों की खास पहचान बनी। इन महिलाओं ने बिहार की सिक्की कला को नई ऊंचाई पर पहुंचाया। यह कला न केवल बिहार की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है बल्कि ग्रामीण ग्रामीण महिलाओं के लिए आजीविका का भी एक अहम श्रोत है। सिक्की कला के अंतर्गत मुख्य रूप से डालियां, खिलौने, गृह सजावट की वस्तुएं, टोकरी और डिब्बे बनाए जाते हैंl

मांझी का बरेजा गांव सरयू नदी के किनारे बसा हुआ है जिसके कारण जंगली सिक्की घास की उपज प्रचूर मात्री में होती है। सारण जिले की एसजेवाई टीम को ये जानकारी मिली कि बरेजा गांव की कुछ महिलाएं सिक्की कला में रुचि रखती हैं। ऐसे 25 जरूरतमंद और हुनरमंद दीदियों को पहचान कर उन्हें सिक्की घास से जुड़े अन्य उत्पाद बनाने के लिए प्रेरित किया गया। अब ये महिलाएं पेन स्टैंड, सिक्की पोला चूड़ी, कानबाली, दुल्हन सेट चूड़ी और मांग के मुताबिक गिफ्ट का निर्माण करने लगी हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 के दौरान पटना के गांधी मैदान में आयोजित सरस मेला के दौरान इन जीविका दीदियों ने 80,159 रुपए का सिक्की उत्पाद बेचा। इसके बाद इस समूह ने क्रमश: छपरा में मुख्यमंत्री समाधान यात्रा में 9400 रुपए और बिहार दिवस के मौके पर पटना के गांधी मैदान में आयोजित मेले में 21,590 रुपए की बिक्री की है। इसके अलावा जीविका राज्य कार्यालय के कार्यक्रम हेतु भी 4850 रुपए का गिफ्ट आइटम आर्डर किया गया और सारण के जिला प्रेक्षागृह में वित्तीय समावेशन से संबंधित एक कार्यक्रम में 6330 रुपए की बिक्री हुई। साफ है कि लगातार उत्पाद की डिमांड बढ़ने से इन जीविका दीदियों का उत्साह भी बढ़ा है।
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रक्षाबंधन के मौके पर जीविका दीदियों के बनाए राखी की मांग काफी बढ़ जाती है। सारण के अलग-अलग प्रखंडों से लगभग 6 हजार 2 सौ राखियों का आर्डर आया था, जिससे लगभग इस समूह को 55,800 रुपए की आमदनी हुई। इस साल भी रक्षाबंधन के मौके पर जीविका दीदियों का ये समूह खास तैयारी कर रही हैं। इस साल चालीस से पचास हजार राखियों की बिक्री का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही जीविका दीदियों के समूह को बेहतर पैकेजिंग और मार्केटिंग की भी ट्रेनिंग दी जा रही है।

नीतीश कुमार का सपना सच कर रही हैं जीविका दीदियां
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की गरीब महिलाओं के जीवन में आमदनी का नया जरिया विकसित करने का सपना देखा था। आज सरकार के सतत प्रयास और महिलाओं की लगन से ये सपना सच साबित होता नजर आ रहा है। जीविका दीदी समूह ने ये साबित कर दिया है कि महिला उद्यमिता के संदर्भ में "एकता में ही शक्ति" है। आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सोच की वजह से गांव की महिलाओं में कुछ कर दिखाने का जज्बा विकसित हुआ है। अब बिहार के गांवों में रहने वाली महिलाएं नित नया इतिहास रच रही हैं।

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