कैसे पराली बन सकती है खेत की खाद?  कृषि विभाग की रिपोर्ट ने खोले कई राज

Edited By Ramanjot, Updated: 11 Dec, 2025 08:10 PM

parali management bihar

कृषि विभाग किसानों की आय बढ़ाने और पर्यावरण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में विभाग ने फसल अवशेष प्रबंधन के संबंध में विस्तृत सलाह जारी की है।

पटना: कृषि विभाग किसानों की आय बढ़ाने और पर्यावरण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में विभाग ने फसल अवशेष प्रबंधन के संबंध में विस्तृत सलाह जारी की है। धान की फसल कटने के बाद की पराली को जलाने की बजाय मिट्टी में मिलाकर खाद बनाने की सलाह दी जा रही है। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहती है और पुआल से बड़ी मात्रा में पोषक तत्व खेतों को मिलते हैं।

विभाग ने पुआल को मिट्टी में मिलाने वाले कृषि यंत्रों पर भी अनुदान राशि बढ़ा दी है। इसमें स्ट्रॉ बेलर, हैप्पी सीडर, जीरो टिल सीड-कम-फर्टिलाइज़र ड्रिल, रीपर-कम-बाइंडर, स्ट्रॉ रीपर और रोटरी मल्चर शामिल हैं। इन यंत्रों का उपयोग करके किसान फसल अवशेष को खेत में मिलाकर वर्मी कम्पोस्ट या खाद तैयार कर सकते हैं।

कृषि विभाग ने बताया कि पराली जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ जाता है, जिससे मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीवाणु और केंचुआ मर जाते हैं। जैविक कार्बन नष्ट होने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी कम हो जाती है। वहीं, एक टन पुआल को मिट्टी में मिलाने से नाइट्रोजन 20–30 किलोग्राम, पोटाश 60–100 किलोग्राम, सल्फर 5–7 किलोग्राम और ऑर्गेनिक कार्बन 600 किलोग्राम प्राप्त होते हैं।

विभाग ने किसानों से आग्रह किया है कि फसल कटाई के बाद खेत की सफाई के लिए बेलर मशीन या अन्य यंत्रों का उपयोग करें और फसल अवशेष को जलाने की बजाय खाद या वर्मी कम्पोस्ट के रूप में उपयोग करें। यह न केवल खेती की लागत को कम करेगा, बल्कि मिट्टी और पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा।

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!