Edited By Swati Sharma, Updated: 15 Apr, 2025 10:41 AM

Bihar Politics: पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) ने सोमवार को घोषणा की कि उनकी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLSP) अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का हिस्सा नहीं है, क्योंकि राजग ने...
Bihar Politics: पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) ने सोमवार को घोषणा की कि उनकी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLSP) अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का हिस्सा नहीं है, क्योंकि राजग ने उनके भतीजे चिराग पासवान (Chirag Paswan) का साथ देने का फैसला किया है। पारस ने अपने दिवंगत भाई रामविलास पासवान द्वारा स्थापित लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) से बगावत करते हुए 2021 में रालोजपा की स्थापना की थी। उन्होंने बीआर आंबेडकर की जयंती के अवसर पर पटना में रालोजपा की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में अपनी पार्टी के राजग से अलग होने की घोषणा की।
मैं 2014 से राजग के साथ रहा हूं, लेकिन...- Pashupati Paras
इस मौके पर पारस (Pashupati Kumar Paras) ने रामविलास पासवान को “दूसरा आंबेडकर” बताते हुए उन्हें भारत रत्न से अलंकृत करने की मांग भी की। पारस ने कहा, “मैं 2014 से राजग के साथ रहा हूं। लेकिन, आज मैं घोषणा करता हूं कि अब से मेरी पार्टी का राजग (NDA) के साथ कोई संबंध नहीं होगा।” पारस ने पिछले साल लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) से पहले केंद्रीय मंत्री के पद से उस समय इस्तीफा दे दिया था, जब उनके भतीजे चिराग की लोक जनशक्ति पार्टी-रामविलास (लोजपा-आरवी) को राजग की घटक के रूप में चुनाव लड़ने के लिए पांच सीटें आवंटित की गई थीं और इन सभी सीटों पर पार्टी उम्मीदवार विजयी रहे थे। लोजपा (आरवी) को जो सीटें मिली थीं, उनमें रामविलास पासवान का गढ़ कहलाने वाली हाजीपुर सीट भी शामिल थी, जिससे पारस 2019 में लोकसभा सदस्य चुने गए थे। वर्तमान में इस सीट का प्रतिनिधित्व चिराग कर रहे हैं, जो केंद्रीय मंत्री भी हैं।
बिहार एक नयी सरकार चाहता है- Pashupati Paras
राजग में नजरअंदाज किए जाने के बावजूद पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) सहित अन्य शीर्ष नेताओं से मुलाकात कर गठबंधन में मजबूत स्थिति बनाए रखने की कोशिश की। हालांकि, पिछले साल राज्य की पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के दौरान राजग ने एक सीट पर रालोजपा के दावे को दरकिनार कर दिया। यही नहीं, रालोजपा का संभावित उम्मीदवार भाजपा (BJP) में शामिल हो गया, जिसने उनके बेटे को टिकट दे दिया। इसके अलावा, राज्य सरकार ने पारस से वह बंगला खाली कराकर चिराग को आवंटित कर दिया, जिससे वह (पारस) अपनी पार्टी का संचालन कर रहे थे। पारस ने 2020 के विधानसभा चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के खिलाफ अपने भतीजे के विद्रोह को अस्वीकार करते हुए उनसे नाता तोड़ लिया था। रालोजपा के कार्यक्रम में पारस ने नीतीश पर “दलित विरोधी” होने का आरोप लगाया और दावा किया कि “38 में से 22 जिलों का दौरा करने के बाद” उन्हें एहसास हो गया है कि “बिहार एक नयी सरकार चाहता है।” बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) से पहले पशुपति पारस ने यह बड़ी घोषणा की है।