'चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव' में राज्यपाल ने कहा- राष्ट्रवाद एवं समाज हित पर केंद्रित विषयों को साहित्य में शामिल करने की जरूरत

Edited By Ramanjot, Updated: 19 Oct, 2024 12:55 PM

statement of governor rajendra arlekar

आर्लेकर ने शुक्रवार को तीन दिवसीय चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव का दीप प्रज्वलित कर किया। उन्होंने तीन दिवसीय चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव के आयोजन को मिथिला की धरोहर और सांस्कृतिक परंपरा का वाहक बताते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से मिथिला की समृद्ध साहित्यिक...

दरभंगा: बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने राष्ट्रवाद एवं समाज हित पर केंद्रित सभी विषयों को साहित्य में शामिल करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि सिर्फ हिंदी में ही नहीं बल्कि इसके लिए तमाम उन भाषाओं को भी इसमें जगह मिले जिसमे ऐसी गतिविधियां लिखित या किसी भी माध्यम से प्रदर्शित की जा रही हो।

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आर्लेकर ने शुक्रवार को तीन दिवसीय चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव का दीप प्रज्वलित कर किया। उन्होंने तीन दिवसीय चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव के आयोजन को मिथिला की धरोहर और सांस्कृतिक परंपरा का वाहक बताते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से मिथिला की समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक परंपरा को नया आयाम मिलेगा जो देश के साहित्यकारों के बीच मिथिला की पहचान को मजबूती प्रदान करेगा। राज्यपाल ने कहा कि उत्सव एवं उत्साह मिलकर महोत्सव को सफल बनाते हैं। इस महोत्सव में काफी गूढ़ विषयों पर चिंतन, मंथन एवं मनन होने वाला है जो अच्छी बात है। तीन दिनों में जिन गम्भीर विषयों पर चिंतन मंथन होगा उसके फलाफल को पुस्तक के आकार में भी समाज के सामने लाने की जरूरत है। समाज के लिए कुछ नवनीत करके जाएंगे तभी महोत्सव की असली सफलता मानी जायेगी।

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राज्यपाल आर्लेकर ने कहा कि राष्ट्रवाद एवं राष्ट्रीय एकता मुख्य परिधि में होनी चाहिए। उन्होंने जयपुर लिटरेरी फेस्टिवल की भी याद दिलाई। जहां भारत विरोधी गतिविधियों की ही बातें की जाती है। उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि साहित्यिक दर्जा किसे मिले इस पर गहन विचार की जरूरत है। राष्ट्रवादी विचार धाराएं कैसे आगे आएंगी, इस पर भी चिंतन होना चाहिए। 

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