JDU प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा- डरें नहीं, गरीब बिहारियों की हड़पी जमीनें लौटाएं Tejashwi

Edited By Nitika, Updated: 13 Jun, 2024 09:44 AM

statement of rajiv ranjan

जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि नौकरी के बदले जमीन लिखवाने के घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अंतिम रिपोर्ट दाखिल होने के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव भयभीत एवं हताश हैं और इसी वजह से...

 

पटनाः जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि नौकरी के बदले जमीन लिखवाने के घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अंतिम रिपोर्ट दाखिल होने के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव भयभीत एवं हताश हैं और इसी वजह से वह लगातार अनाप-शनाप बयान दे रहे हैं।

राजीव रंजन ने यहां बयान जारी कर कहा कि तेजस्वी यादव हताशा में कभी जांच एजेंसियों को धमकाते हैं तो कभी केंद्र सरकार के खिलाफ अनर्गल प्रलाप करते हैं। उन्हें यह समझना चाहिए कि गलत करने का परिणाम कभी भी सुखद नहीं होता है इसलिए वह डरना छोड़ें और जिन गरीब बिहारियों की जमीनों को नौकरी के बदले लिखवा लिया है उसे वापस लौटा दें।

जदयू प्रवक्ता ने कहा कि राजद नेता तेजस्वी यादव यह जान लें कि जंगलराज का युग अब बीत चुका है। जांच एजेंसियों या सरकार के सामने दबंगई दिखाने से कोई फायदा नहीं मिलने वाला है। कानून के राज में उनकी दादागिरी चलने वाली नहीं है, इसलिए दबंगई दिखाने के बजाए उन्हें एजेंसियों को पूरा सहयोग करना चाहिए। एनडीए के राज में हर किसी को न्याय मिलता है और यदि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है तो उन्हें डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन अगर उन्होंने बिहारियों के साथ ज्यादती की है तो पूरे राज्य से माफ़ी मांग कर उन्हें इसका प्रायश्चित करना चाहिए।

वहीं रंजन ने कहा कि तेजस्वी यादव को समझना चाहिए कि नौकरी के बदले जमीन घोटाले में उनकी नाबालिग रहने की दलील भी अब काम नहीं आने वाली है। जनता जानना चाहती है कि दो दो बार उपमुख्यमंत्री रहने के बाद भी क्या उनमें अपनी गलतियों को सुधारने की समझ विकसित नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि यदि वह जमीनें नहीं लौटाते हैं तो यह माना जाएगा कि उनके जानते बूझते, पूरे सुनियोजित तरीके से इस घटना को अंजाम दिया गया है।

जदयू प्रवक्ता ने कहा कि वास्तव में तेजस्वी यादव अनर्गल बयान देकर मुद्दे को भटकाना चाहते हैं। वह समझते हैं कि उनके चीखने-चिल्लाने से लोगों का ध्यान दूसरी तरफ चला जाएगा। उन्हें समझना चाहिए कि बिहारवासी उनकी करतूतों को भली-भांति समझते हैं और उनका कोई दांव उनके काम नहीं आने वाला है, इसलिए यदि उन्हें अपनी छवि बचानी है तो बिहारियों की हड़पी जमीनें उन्हें हर हाल में लौटानी होंगी।

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