Edited By Harman, Updated: 21 Feb, 2025 09:21 AM
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झारखंड में बोकारो जिला न्यायालय परिसर मे अधिवक्ताओं ने गुरुवार को केंद्र सरकार के प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 को वापस लेने की मांग को लेकर विरोध किया। इंडियन एसोशिएशन ऑफ लॉयर्स के नेशनल कौंसिल मेंबर अधिवक्ता रणजीत गिरि ने कहा कि केंद्र...
बोकारो: झारखंड में बोकारो जिला न्यायालय परिसर मे अधिवक्ताओं ने गुरुवार को केंद्र सरकार के प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 को वापस लेने की मांग को लेकर विरोध किया।
इंडियन एसोशिएशन ऑफ लॉयर्स के नेशनल कौंसिल मेंबर अधिवक्ता रणजीत गिरि ने कहा कि केंद्र सरकार जब अधिवक्ता पर हो रहे हमले अपराध रोक नहीं पाए तो वकीलों को हीं रोकने चल दिये। इस विधेयक में वकीलों द्वारा न्यायालयों के बहिष्कार और हड़ताल पर रोक लगाने का प्रावधान किया गया है। साथ ही साथ वकीलों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही और निलंबन का प्रावधान किया गया है। इस विधेयक द्वारा (बीसीआई) बार काउंसिल आफ इंडिया की स्वायत्तता पर खतरनाक हमला किया गया है। अब बीसीआई में केंद्र सरकार द्वारा नामित सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है। इस विधेयक द्वारा विदेशी कानूनी फर्मों के प्रवेश को अनुमति दी जा रही है।
रणजीत गिरी ने कहा कि वकीलों पर मुवक्किलो को मुआवजा देने की जिम्मेदारी थोपी जा रही है, वकीलों की आवाज दबाने की साजिश आटिर्कल 19 और 21 पर हमला है, जो संविधान द्वारा प्रदत्त है। वकीलों को अनुचित जुर्माना देने का प्रावधान किया गया है,जिसमें वकील पर तीन लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। झूठी शिकायतों पर वकीलों को कोई सुरक्षा नहीं दी गई है। वकीलों को तुरंत निलंबित करने का प्रावधान किया गया है। इस विधेयक द्वारा न्याय प्रणाली में वकीलों की भूमिका को कमजोर किया जा रहा है और अनुशासनात्मक कार्यवाही का डर दिखाकर उनकी आजादी छीनने की साजिश की जा रही है और उन्हें सरकारी गुलाम बनाने की साजिश की आधारशिला रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि आज भी सरकारी जुल्म ज्यादतियों और गलत नीतियों और गलत कानूनों का विरोध वकील ही करते हैं। संविधान और कानून के शासन को सुरक्षित रखने में अधिवक्ताओं की अहम भूमिका है।