Edited By Khushi, Updated: 01 Nov, 2025 11:31 AM

Tulsi Vivah Samgri list: कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर तुलसी विवाह किया जाता है। इस दिन तुलसी जी और शालिग्राम जी का विवाह कराया जाता है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल द्वादशी तिथि की शुरुआत 2 नवंबर 2025 को सुबह 7 बजकर 31 मिनट पर होगी...
Tulsi Vivah Samgri list: कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर तुलसी विवाह किया जाता है। इस दिन तुलसी जी और शालिग्राम जी का विवाह कराया जाता है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल द्वादशी तिथि की शुरुआत 2 नवंबर 2025 को सुबह 7 बजकर 31 मिनट पर होगी और इसका समापन 3 नवंबर को सुबह 5 बजकर 7 मिनट पर होगा। शुभ मुहूर्त के अनुसार, तुलसी विवाह 2 नवंबर (रविवार) को ही मनाया जाएगा, लेकिन सही विधि और शुभ मुहूर्त में ही पूजा करनी चाहिए।
यदि आप भी तुलसी विवाह अनुष्ठान में भाग ले रहे हैं, तो पूजा के लिए ये आवश्यक सामग्री शामिल करना न भूलें, ताकि आपके विवाह अनुष्ठान में किसी तरह की बाधा न आए।
तुलसी विवाह की सामग्री (Tulsi Vivah Samgri list)
तुलसी का पौधा, शालीग्राम जी और भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर
लाल रंग का कोरा कपड़ा, कलश, पूजा की चौकी
सुगाह की सामग्री जैसे -बिछुए, सिंदूर, मेहंदी, बिंदी, चुनरी, काजल और सिंदूर आदि
मौसमी फल व सब्जियां जैसे मूली, सिंघाड़ा, आंवला, बेर और अमरूद आदि
केले के पत्ते, हल्दी की गांठ
नारियल, कपूर, धूप, दीप, चंदन
सबसे पहले तुलसी विवाह अनुष्ठान के लिए केले के पत्तों और गन्ने से मंडप तैयार करें। रंगोली बनाकर पूजा स्थल को सजाएं और इस स्थान पर तुलसी का पौधा, शालीग्राम व भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें और विवाह अनुष्ठान शुरू करें। पूजा में मां तुलसी को सुहाग की सामग्री चढ़ाएं। इसके बाद पूजा में गन्ना, केला, सिंघाड़ा और मूली आदि अर्पित करें। घी के 11 दीपक जलाएं और भजन करें। अंत में आरती करके सभी में प्रसाद बांटें। तुलसी विवाह के दिन भगवान विष्णु के भोग में तुलसी दल जरूर शामिल करें, क्योंकि इसके बिना प्रभु श्रीहरि का भोग अधूरा माना गया है। ऐसा करने से साधक को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। तुलसी विवाह के दिन सूर्यास्त के बाद तुलसी के समक्ष घी का दीपक भी जरूर जलाएं और 7 या 11 बार तुलसी की परिक्रमा करें। ऐसा करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि का माहौल बना रहता है।
इन मुहूर्तों में तुलसी विवाह करना सबसे शुभ माना जाता है —
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:59 से 5:49 तक
प्रातः संध्या: सुबह 5:24 से 6:39 तक
अमृत काल: सुबह 9:29 से 11:00 तक
अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11:59 से 12:45 तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 6:04 से 6:30 तक
तुलसी विवाह का महत्व
बता दें कि तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम से किया जाता है। भगवान शालिग्राम को दूल्हे की तरह सजाया जाता है और माता तुलसी को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। भगवान शालिग्राम ईश्वर की शक्ति के प्रतीक हैं, जबकि तुलसी माता प्रकृति का प्रतिनिधित्व करती हैं। इस विवाह से प्रकृति और भगवान के बीच के संतुलन का संदेश मिलता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति पूरे विधि-विधान से तुलसी विवाह करता है, उसके वैवाहिक जीवन में सुख और शांति बनी रहती है। साथ ही घर में समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशहाली का वास होता है। तुलसी विवाह करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक लाभ भी मिलते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु के चार महीने की योग निद्रा के बाद जागरण एकादशी (देवउठनी एकादशी) के अगले दिन तुलसी विवाह संपन्न कराया जाता है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी विवाह कराने से —वैवाहिक जीवन में प्रेम, शांति और समृद्धि आती है। अविवाहित कन्याओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है और सबसे बड़ा लाभ, यह कन्यादान के समान पुण्य फल प्रदान करता है।