Tulsi Vivah 2025: 1 या 2 नवंबर...कब कराना सही रहेगा तुलसी विवाह, पड़ रहा है भद्रा का साया

Edited By Khushi, Updated: 31 Oct, 2025 12:25 PM

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Tulsi Vivah 2025: कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर तुलसी विवाह किया जाता है। इस दिन तुलसी जी और शालिग्राम जी का विवाह कराया जाता है, लेकिन इस वर्ष ऐसा नहीं होगा। इसका कारण भद्रा है। एकादशी व्रत एक नवंबर को ही रखा जाएगा, लेकिन दोपहर बाद...

Tulsi Vivah 2025: कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर तुलसी विवाह किया जाता है। इस दिन तुलसी जी और शालिग्राम जी का विवाह कराया जाता है, लेकिन इस वर्ष ऐसा नहीं होगा। इसका कारण भद्रा है। एकादशी व्रत एक नवंबर को ही रखा जाएगा, लेकिन दोपहर बाद भद्रा लग जाने से तुलसी विवाह उसी संध्या नहीं हो सकेगा।

भृगु विधि विशेषज्ञ पं. वेदमूर्ति शास्त्री के मुताबिक एक नवंबर को भद्रा दोपहर 3:30 से रात 2:56 बजे तक रहेगी। भद्रा काल में मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है, इसलिए तुलसी विवाह अगले दिन 2 नवंबर को होगा। एकादशी तिथि की शुरुआत 31 अक्टूबर की शाम 4:02 बजे होगी और एक नवंबर की रात 2:56 बजे तक रहेगी। ऐसे में एकादशी व्रत एक नवंबर को रखा जाएगा और इसका पारण दो नवंबर को होगा। बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व 4 नवंबर और कार्तिक पूर्णिमा 5 नवंबर को होगी। वहीं, सही विधि और शुभ मुहूर्त में ही तुलसी विवाह करना चाहिए।

2 नवंबर को तुलसी विवाह के ये हैं शुभ मुहूर्तः

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04:50 बजे से सुबह 05:42 बजे तक।

अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:42 बजे से दोपहर 12:26 बजे तक।

विजय मुहूर्त - दोपहर 01:55 बजे से दोपहर 02:39 बजे तक।

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05:35 बजे से शाम 06:01 बजे तक।

अमृत काल- सुबह 09:29 बजे से सुबह 11:00 बजे तक।

त्रिपुष्कर योग- सुबह 07:31 बजे से शाम 05:03 बजे तक।

तुलसी विवाह के दिन बन रहे ये शुभ चौघड़िया मुहूर्तः

लाभ - उत्पादकताः 09:19 ए एम से 10:42 ए एम

अमृत ​​- उत्तमः 10:42 पूर्वाह्न से 12:04 अपराह्न

शुभ - उत्तमः 01:27 पी एम से 02:50 पी एम

शुभ - उत्तमः 05:35 पी एम से 07:13 पी एम

तुलसी विवाह के दिन गन्ने से ही मंडप बनाना चाहिए। कहा जाता है कि तुलसी जी को गन्ना बहुत प्रिय है, इसलिए विवाह का मंडप गन्ने से सजाया जाता है।

तुलसी विवाह पूजा विधि
1. सुबह स्नान कर घर के आंगन या छत पर तुलसी के पौधे के पास स्थान को साफ करें।
2. तुलसी माता को लाल साड़ी, चुनरी, चूड़ी, सिंदूर और श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें।
3. पौधे के दाहिनी ओर शालिग्राम (भगवान विष्णु) को स्थापित करें।
4. तुलसी और शालिग्राम दोनों को गंगाजल से स्नान कराएं और चंदन, रोली से तिलक करें।
5. फल, फूल, मिठाई और तुलसीदल का भोग लगाकर विवाह मंत्रों के साथ तुलसी-शालिग्राम का विवाह कराएं।
6. विवाह के बाद आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।

तुलसी विवाह का महत्व
बता दें कि तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम से किया जाता है। भगवान शालिग्राम को दूल्हे की तरह सजाया जाता है और माता तुलसी को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। भगवान शालिग्राम ईश्वर की शक्ति के प्रतीक हैं, जबकि तुलसी माता प्रकृति का प्रतिनिधित्व करती हैं। इस विवाह से प्रकृति और भगवान के बीच के संतुलन का संदेश मिलता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति पूरे विधि-विधान से तुलसी विवाह करता है, उसके वैवाहिक जीवन में सुख और शांति बनी रहती है। साथ ही घर में समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशहाली का वास होता है। तुलसी विवाह करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक लाभ भी मिलते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु के चार महीने की योग निद्रा के बाद जागरण एकादशी (देवउठनी एकादशी) के अगले दिन तुलसी विवाह संपन्न कराया जाता है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी विवाह कराने से —वैवाहिक जीवन में प्रेम, शांति और समृद्धि आती है। अविवाहित कन्याओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है और सबसे बड़ा लाभ, यह कन्यादान के समान पुण्यफल प्रदान करता है।
 

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