बैटरी स्टोरेज से बदलेगी तस्वीर: बिहार को मिलेगी निर्बाध बिजली आपूर्ति!

Edited By Ramanjot, Updated: 04 Mar, 2025 08:13 PM

jal jeevan hariyali

जल-जीवन-हरियाली दिवस के अवसर पर विद्युत भवन, पटना में ‘सौर ऊर्जा उपयोग का प्रोत्साहन एवं ऊर्जा की बचत’ विषय पर एक विशेष परिचर्चा आयोजित की गई।

पटना: जल-जीवन-हरियाली दिवस के अवसर पर विद्युत भवन, पटना में ‘सौर ऊर्जा उपयोग का प्रोत्साहन एवं ऊर्जा की बचत’ विषय पर एक विशेष परिचर्चा आयोजित की गई। इस अवसर पर ऊर्जा विभाग के सचिव सह बीएसपीएचसीएल के सीएमडी पंकज कुमार पाल ने कहा कि बिहार अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। राज्य की कुल पीक डिमांड 8005 मेगावाट में से 23% बिजली अक्षय ऊर्जा से प्राप्त की जा रही है। हमारा लक्ष्य इस निर्भरता को और बढ़ाना है ताकि जीवाश्म ईंधन की खपत कम हो और हरित ऊर्जा को बढ़ावा मिले।

सौर ऊर्जा से बिहार को बड़ी उपलब्धियां

सीएमडी पंकज कुमार पाल ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में राज्य की प्रगति उल्लेखनीय रही है। अब तक 11,000 से अधिक सरकारी भवनों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जा चुके हैं, जिनसे 100 मेगावाट से अधिक बिजली का उत्पादन हो रहा है। ‘नीचे मछली, ऊपर बिजली’ मॉडल को दरभंगा (1.6 मेगावाट) और सुपौल (525 किलोवाट) में सफलतापूर्वक लागू किया गया है।

लखीसराय के कजरा में देश की सबसे बड़ी बैटरी स्टोरेज प्रणाली का निर्माण हो रहा है, जिसकी 301 मेगावाट सौर ऊर्जा और 495 मेगावाट आवर बैटरी स्टोरेज क्षमता होगी। इसका पहला चरण जुलाई 2025 तक पूरा होगा।

मुख्यमंत्री सोलर स्ट्रीट लाइट योजना के तहत हर पंचायत के प्रत्येक वार्ड में 10 सोलर लाइटें लगाई जा रही हैं, अब तक 5.50 लाख से अधिक सोलर स्ट्रीट लाइटें लग चुकी हैं। चीनी मिलों में बगैस (गन्ने के अवशेष) से 40 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है।

ऊर्जा बचत और उपभोक्ता जागरूकता पर जोर

सीएमडी पाल ने कहा कि ऊर्जा बचत भी उतनी ही जरूरी है जितनी कि अक्षय ऊर्जा का उत्पादन। उन्होंने उपभोक्ताओं से अपील की कि बिजली का दुरुपयोग न करें और जरूरत के अनुसार ही ऊर्जा खपत करें। उन्होंने कहा कि अक्सर लोग एसी और लाइट चालू छोड़ देते हैं, जिससे ऊर्जा की बर्बादी होती है। इसे रोकने के लिए जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।

जल-जीवन-हरियाली मिशन के सकारात्मक परिणाम

इस मौके पर जल-जीवन-हरियाली मिशन की निदेशक प्रतिभा रानी ने बताया कि इस मिशन से 15 विभाग जुड़े हुए हैं और इसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। बिहार में वन आच्छादन (ग्रीन कवर) में वृद्धि हुई है, जिससे पर्यावरणीय संतुलन मजबूत हुआ है।

ऊर्जा क्रांति की ओर बिहार

परिचर्चा में एनबीपीडीसीएल और बीएसपीजीसीएल के निदेशक, मुख्य अभियंता (जेनरेशन), भवन निर्माण एवं कृषि विभाग के अधिकारी भी शामिल हुए। सभी ने बिहार में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और जल ऊर्जा के विकास को प्राथमिकता देने पर जोर दिया। बिहार सरकार की यह पहल न सिर्फ ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगी, बल्कि जलवायु परिवर्तन से निपटने और राज्य को हरित भविष्य की ओर ले जाने में अहम भूमिका निभाएगी।

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